खेती हमर सार, बाकी दुनियादारी बेकार...छत्तीसगढ़ी भाषा में किसानी पर कविता-
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक छत्तीसगढ़ी भाषा में किसानी के बारे में कविता सुना रहे हैं :
चल जाबो गा संघी खेत खार-
सोना सही धान पके हवे, ऊपर मुड़ा नाथ-
पसिया ला धर लूबो दिन भर-
करपा-करपा कर, दुई दिन सुखाबो-
पैरा डोर मा बांधाबो, बैला-भैसा गड़ी मा आनबो-
कोठार मा खरी गांजबो-
बैल ला बगराबो दाई बेलन फांदबो...
Posted on: Sep 30, 2018. Tags: AGRICULTURE CG CHHATTISGARHI KANHAIYALAL PADIYARI POEM RAIGARH SONG VICTIMS REGISTER
डोलत नई आय, डोलत नई आय जी...छत्तीसगढ़ी गीत-
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक छत्तीसगढ़ी गीत सुना रहे हैं:
डोलत नई अय, डोलत नई आय, डोलत नई आय जी-
का होगे संगी, हवा ला डोलत नई आय जी-
का होगे संगी, डारा पाना डोलत नई आय गा-
बोलत नाइ आय, बोलत नाइ आय, बोलत नाइ आय जी-
का होगे मोर मन मंजूरी ला, बोलत नई आय जी-
जोरत रईथो, जोरत रईथो, जोरत रईथो गा...
Posted on: Sep 30, 2018. Tags: CG CHHATTISGARHI KANHAIYALAL PADIYARI RAIGARH SONG VICTIMS REGISTER
उत्तर दक्षिण पूरब पक्षिम, प्रमुख दिशाएं हैं चार, पर दसो दिशाओं में मचा हुआ है हाहाकार...कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक कविता सुना रहे है:
उत्तर दक्षिण पूरब पक्षिम, प्रमुख दिशाएं हैं चार-
पर दसो दिशाओं में मचा हुआ है हाहाकार-
सुकून ढूंढने को निकला, सुकून तो दुनिया से है काफूर-
थका मांदा आशियाना आया तो देखा कलह का बजता नुपूर-
कानो को दबाकर वहां से निकला तो बाहर मारपीट अफरा तफरी-
उत्तर में गया नक्सलियों का दबदबा-
दक्षिण में गया तो आतंकवादियों का बोल बाला...
Posted on: Aug 28, 2018. Tags: CHHATTISGARH KANHIYALAL PADIYAI POEM RAIGARH SONG VICTIMS REGISTER
चिलम के धुआं को उड़ने दो, लोगो को खांस-खांस कर परेशान होने दो...व्यंग्य रचना-
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक व्यंग्य रचना सुना रहे है :
चिलम के धुआं को उड़ने दो-
लोगो को खांस-खांस कर परेशान होने दो-
बीडी की धुआ को निकलने दो-
भले ही नाक को खरखराने दो-
दारु की ढक्कन को खुला रहने दो-
लोगो को समय से पहले जाने दो...
Posted on: Aug 21, 2018. Tags: CHHATTISGARH KANHIYALAL PADIYARI RAIGARH SONG VICTIMS REGISTER
भूख लगने पर जो भी खाने को मिले अच्छी लगती है...कहानी-
एक दस वर्ष का बच्चा बीमार पड़ा तो उसके पिता ने उसे चिकित्सालय में भर्ती कराया, तब वो फल के अलावा कुछ भी नही खाता था, एक दिन उसे गांव जाना पड़ा तो उसने पड़ोसी को फल और कुछ पैसे देकर बच्चे का देख-रेख करने को कहा और चला गया, पडोसी ने सोचा इसे दूसरा भोजन देंगे तो कैसे नही खाएगा और दाल चावल खाने में दिया, बच्चे ने नही खाया, शाम के समय उसने चिकित्सक से कहा बच्चा तो कुछ भी नही खा रहा, चिकित्सक ने कहा ठीक हो जाएगा, उसके बाद रात को बच्चे को भूख लगी, जिस पर पडोसी ने खाने को कुछ नही दिया, तो बच्चे ने वही दाल चावल खाया, फिर वह भूख लगने पर जो भी मिले खा लेता, इससे सीख मिलती है, भूख लगने पर जो भी खाने को मिले अच्छी लगती है |
कन्हैयालाल पडियारी@ 9522110855.