चिलम के धुआं को उड़ने दो, लोगो को खांस-खांस कर परेशान होने दो...व्यंग्य रचना-
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक व्यंग्य रचना सुना रहे है :
चिलम के धुआं को उड़ने दो-
लोगो को खांस-खांस कर परेशान होने दो-
बीडी की धुआ को निकलने दो-
भले ही नाक को खरखराने दो-
दारु की ढक्कन को खुला रहने दो-
लोगो को समय से पहले जाने दो...
Posted on: Aug 21, 2018. Tags: CHHATTISGARH KANHIYALAL PADIYARI RAIGARH SONG VICTIMS REGISTER
भूख लगने पर जो भी खाने को मिले अच्छी लगती है...कहानी-
एक दस वर्ष का बच्चा बीमार पड़ा तो उसके पिता ने उसे चिकित्सालय में भर्ती कराया, तब वो फल के अलावा कुछ भी नही खाता था, एक दिन उसे गांव जाना पड़ा तो उसने पड़ोसी को फल और कुछ पैसे देकर बच्चे का देख-रेख करने को कहा और चला गया, पडोसी ने सोचा इसे दूसरा भोजन देंगे तो कैसे नही खाएगा और दाल चावल खाने में दिया, बच्चे ने नही खाया, शाम के समय उसने चिकित्सक से कहा बच्चा तो कुछ भी नही खा रहा, चिकित्सक ने कहा ठीक हो जाएगा, उसके बाद रात को बच्चे को भूख लगी, जिस पर पडोसी ने खाने को कुछ नही दिया, तो बच्चे ने वही दाल चावल खाया, फिर वह भूख लगने पर जो भी मिले खा लेता, इससे सीख मिलती है, भूख लगने पर जो भी खाने को मिले अच्छी लगती है |
कन्हैयालाल पडियारी@ 9522110855.
Posted on: Aug 19, 2018. Tags: CHHATTISGARH KANHIYALAL PADIYARI RAIGARH SONG STORY VICTIMS REGISTER
किसिम किसिम के नवा-नवा धान, वोला खाके गवाबो प्राण...छत्तीसगढ़ी कविता-
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक कविता सुना रहे हैं :
किसिम किसिम के नवा-नवा धान, वोला खाके गवाबो प्राण-
लुचाई गुरमटिया बछा भोग, ये जम्मो ला लागिस रोग-
भाठा दुबराज लक्ष्मिभोग, येमन ला छोड़ेन आज के लोग-
सफरी, भाठा सफरी, जौफूल ओला हमन गए हन भूल-
तुलसी फूल, तुलसी गुरमंजरी गुरमटिया
बुडहा, बूढी, कोड़ा सिराकार, वोला ले गईस पलरिया बुखार...
Posted on: Aug 16, 2018. Tags: CHHATTISGARHI KANHIYALAL PADIYARI POEM RAIGARH CHHATTISGARH SONG VICTIMS REGISTER
मै उपजाऊ हूँ पर तुम्ही बंजर बना रहे हो...कविता-
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक कविता सुना रहे हैं :
मै उपजाऊ हूँ पर तुम्ही बंजर बना रहे हो-
अनेको प्रकार के रासायनिक खाद डालकर, मेरे सीने को छलनी किए जा रहे हो-
मै समतल हूँ मुझे खोदकर, उबड़ खाबड़ दुर्गम किए जा रहे हो-
मेरे भीतर रासायनिक पदार्थ निकालकर मेरे पेट फाड़े जा रहे हो-
मेरे ऊँचे-ऊँचे पेड़ पौधो को काटकर, मुझे विनाश किए जा रहे हो-
मै निर्जीव नही हूँ मै तो सजीव हूँ-
इसीलिए तो मै भिन्न-भिन्न वस्तुएं अन्न पैदा करती हूँ...
Posted on: Aug 15, 2018. Tags: KANHIYALAL PADIYARI POEM RAIGARH CHHATTISGARH SONG VICTIMS REGISTER
सावन महीने में अमावस्या के दिन त्यौहार के रूप में घर, गली आदि सभी जगह की सफाई की जाती है...
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी बता रहे हैं, सावन महीने के अमावस्या के दिन घर, गली सभी जगह की साफ सफाई की जाती है, देवी देवताओं की पूजा कर मनौती करते हैं, आज के दिन पौधे लगाने चाहिए, उनके गांव में इस त्योहार को विशेष रूप से मनाया जाता है, लोग पूजा स्थल पर पूजा करते और नारियल प्रसाद, मदार, बेल पत्ती अदि चढ़ाते है, उनकी मान्यता है कि इस प्रकार कार्य करने से देवी देवता और प्रकृति खुश रहती है |इस तरह के त्यौहारों का न सिर्फ धार्मिक बल्कि प्राकृतिक महत्त्व भी है जिसको हमें समझना चाहिए और इस तरह की स्वस्थ परम्पराओं को समझ बनाकर औरो को समझाना चाहिए जिससे यह त्यौहार और अधिक मनाया जाए