मुझे तेरे होली के रंग में रंग लो श्याम...होली गीत-
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक भजन सुना रहे हैं:
मुझे तेरे होली के रंग में रंग लो श्याम-
मै तेरी प्रेम पुजारी-
न जानू मै भक्ति न कर सकूं, पूजा पाठ-
मै तो गृहस्थी घेर रखा है, मुझे माया जाल-
नित कमाता हूँ तो खाता हूँ-
ये माया की ही है, संसार...
Posted on: Mar 09, 2020. Tags: CG HOLI KANHAIYALAL PADIHARI RAIGARH SONG VICTIMS REGISTER
सरकारी स्कूलों को देख आता है मुझे रोना...कविता-
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक कविता सुना रहे हैं:
सरकारी स्कूलों को देख आता है मुझे रोना-
जहाँ बच्चो का रहता कोलाहल-
अब लगता भारी सूना सूना-
निजी स्कूलों को सरकारी खिलौना-
धन्न है सरकारी निति-
बना डाला हमको खूब खिलौना...
Posted on: Feb 26, 2020. Tags: CG KANHAIYALAL PADIHARI POEM RAIGARH SONG VICTIMS REGISTER
मुझे तेरे होली के रंग में रंग लो श्याम...होली गीत-
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पड़ियारी एक भजन सुना रहे हैं:
मुझे तेरे होली के रंग में रंग लो श्याम-
मै तेरी प्रेम पुजारी-
न जानू मै भक्ति न कर सकूं, पूजा पाठ-
मै तो गृहस्थी घेर रखा है, मुझे माया जाल-
नित कमाता हूँ तो खाता हूँ-
ये माया की ही है, संसार...
Posted on: Mar 21, 2019. Tags: CG HOLI KANHAIYALAL PADIHARI RAIGARH SONG VICTIMS REGISTER
मान सम्मान पाने के लिए चरित्रवान, गुणवान, विद्यावान, दयावान होना आवश्यक है...
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़, (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडिहारी एक लेख सुना रहे है जिसका शीर्षक है भगवान और शैतान : धनवान या राजा महाराजा, मंत्री बन जाने से सम्मान नहीं बढ़ जाता | मान सम्मान पाने के लिए चरित्रवान, गुणवान, विद्यावान, दयावान होना आवश्यक है | धनवान या राजा-का वही पूजा करते है जो उनके संपर्क में रहते है जिन्हें उनसे कुछ पाने की अभिलाषा होती है या जो डरपोक होते है लेकिन चरित्रवान, गुणवान, विद्यावान, दयावान सभी जगह मान सम्मान पाते है और वह आदमी इन्सान कहलाता है और आगे चल कर भगवान भी कहलाता है जैसे ओशो रजनीश, संत कबीर दास, गुरु घासीदास, गुरुनानक।बाकी सब शैतान कहलाते है जैसे रावण और कंस |
Posted on: Sep 11, 2018. Tags: CG KANAHIYA LAL PADIHARI RAIGARH SONG STORY VICTIMS REGISTER
गोठ सुने बर परथे...छत्तीसगढ़ी कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडिहारी एक छत्तीसगढ़ी कविता सुना रहे हैं:
गोठ सुने बर परथे-
नइच करन नौकरी संगी-
हमन नइच करन नौकरी संगी-
नौकरी जैसी नीच कौनो नहीं है-
हमन नइच करन नौकरी संगी-
खेती करबो पाती करबो-
करबो छोट-मोट व्यापार-
पथरा फोडबो, माटी कोड्बो-
आनी बानी के है औ बुता काम-
नौकरी करके हमन नइच बनन काकोरो कुकुर...