स्वास्थ्य स्वर: श्वेत प्रदर का घरेलू उपचार-
सेतगंगा, जिला-मुंगेली (छत्तीसगढ़) से वैद्य रमाकांत सोनी आज हमें श्वेत प्रदर की बीमारी का एक आयुर्वेदिक उपचार बता रहे है, जो बहुत सी महिलाओं को अक्सर परेशान करता है. वे सुझा रहे हैं कि अर्जुन की छाल (कहुवा) और सतावर जिसे शहस मूल भी कहते है दोनों को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रख ले और एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ सुबह शाम दोपहर ले. इसको 1-2 माह तक ले सकते है, गरिष्ट भोजन के बाद सुबह शाम बराबर जल मिलाकर ले. इसको प्रयोग करने से मरीज को आराम मिलता है यह लोग अपने घर में आसानी से करके कम खर्च से पैसे बचाकर बीमारी से भी निजाद पा सकते है | अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क रमाकांत सोनी@9589906028.
Posted on: Aug 21, 2018. Tags: CHHATTISGARH HINDI HEALTH MUNGELI RMAKANT SONI SONG VICTIMS REGISTER
वनांचल स्वर : बबूल (कीकर) के औषधीय गुण-
जिला-टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश) से राघवेन्द्र सिंह राय आज हम लोगो को बबूल (कीकर) के औषधीय गुणों के बारे में बता रहे है, अतिसार (दस्त, पेचिस) में इसका पत्तियों के रस आधा चम्मच में एक चम्मच छाछ (मही) के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है, मुहं में छाले पड़ने पर बबूल के गोंद को मुंह में रखकर उसके रस चूसने से फायदा मिलता है, इसी तरह गले में सूजन आने से बबूल के छाल को 400 ग्राम पानी में उबाल लें, 100 ग्राम शेष रह जाए जिसमे क्वाक (काढा) शेष रहे उससे मुंह के गरारे करने से छाले जल्दी ठीक हो जाते है| गर्मी की अगर किसी को खांसी हो तो बबूल की पत्तियों को मुंह में रखकर चबाकर रस चूसने से और कंठ में उतार ले, तो इससे आराम मिलता है| राघवेन्द्र सिंह राय@9424759941.
Posted on: Aug 08, 2018. Tags: HINDI HEALTH RAGHVENDRA SINGH RAI SONG TIKAMGARH VANANCHAL SWARA VICTIMS REGISTER
वनांचल स्वर : वात रोग का घरेलू उपचार-
सागर (मध्यप्रदेश) से वैद्य अनंतराम श्रीमाली आज हम सभी को वात रोग का एक घरेलू उपचार बता रहे हैं, वे बता रहे हैं कि वात रोग से पीड़ित व्यक्ति जीरा को 5 ग्राम पीस लें और नरगुंडी के पत्तो का रस एक छोटी चम्मच में लें और दोनों को मिला लें, उसके बाद एक गिलास मठा में सेंधा नमक स्वाद अनुसार मिलाकर जीरा और रसगुंडी के मिश्रण को मिलाकर सेवन करें, इस तरह से लगातार 7 दिन तक प्रयोग करने से लाभ मिल सकता है, अधिक जानकारी के लिए दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं : संपर्क नंबर 8462970635. इस तरह से हमारे आसपास पाए जाने वाले वनस्पतियों के उचित सेवन से हम स्वस्थ रह सकते हैं