वनांचल स्वर : वनों से जड़ी बूटी और कई तरह उपयोगी चीजें प्राप्त होती है जैसे भाजी, लकड़ी, बांस...
ग्राम पंचायत-दरभा, जिला-दक्षिण बस्तर (छत्तीसगढ़) से जीजवती, राधा मंडावी और गीता मंडावी सीजीनेट जन पत्रकारिता जागरूकता यात्रा के अमर मरावी को बता रही हैं, उन्हें वनों से अपने उपयोग के लिए पान, दातून, लकड़ी, बांस के अलावा खाने के लिए सब्जी, मसरूम पूटू अदि मिलती है, जड़ी बूटी भी प्राप्त होती है, लेकिन उन्हें इस संबंध में ज्यादा जानकारी नही है क्योंकि वे अभी छोटे हैं, वनों से वे खाने के लिए कई प्रकार की भाजी भी प्राप्त करते हैं, जिसमे कोलियरी भाजी, केना भाजी जैसी सब्जियां शामिल है, वे कह रही हैं कि वनों का संरक्षण करना चाहिए, आदिवासियों का जीवन वनो पर ही निर्भर है, वन वर्षा के लिए आवश्यक है, इनसे वातावरण स्वच्छ रहता है |
Posted on: Sep 22, 2018. Tags: AMAR MARAVI BASTAR CG DARBHA SWARA VANANCHAL
वनांचल स्वर : पहले लोग वनों से प्राप्त भोजन का उपयोग कर लंबा जीते थे, अब अधिक बीमार हैं...
ग्राम-तेवरी, पंचायत-कडेयकोद्रा, तहसील-अंतागढ़, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से सीजीनेट जन पत्रकारिता जागरूकता यात्रा की रानो वड्डे गाँव की निवासी लक्ष्मी दीदी से उनकी गोंडी भाषा में चर्चा कर रही हैं, वे बता रहे हैं पहले गाँव के लोग साग सब्जी ज्यादातर जंगलो से लाकर खाते थे, जंगल से बांस की बस्ता, कोयलारी भाजी, सरोटा भाजी, पुट्टू जैसी कई चीजे प्राप्त होती थी, जिसे खाकर लोग लंबा जीवन जीते थे, लेकिन आज ज्यादातार सब्जी बाजारों से लेते है, खरीद कर खाते हैं, बाजार की सब्जियों में केमिकल होता है, जिसका उपयोग करने से लोग जल्दी बीमार पड़ते जाते हैं, और अधिक सालो तक नही जी पाते |
Posted on: Sep 22, 2018. Tags: ANTAGARH CG KANKER RANO WADDE SWARA VANANCHAL
वनांचल स्वर : पहले के लोग कोदो कुटकी खाकर ज्यादा दिन जीते थे, अब 50 साल भी नहीं जीते है...
ग्राम-जामकुटनी, पंचायत-बेलगाल, तहसील-पखांजूर, जिला कांकेर (छत्तीसगढ़) से सुरजू गोंडी में बता रहे है उनके क्षेत्र में पहले के लोग कोदो (कोहला) मड़या का इस्तेमाल करते थे तो ज्यादा बीमार नहीं पड़ते थे| पहले के लोग 75 साल तक जीते थे लेकिन अभी ऐसा नही है| अभी के लोग तो 50 साल में ही खत्म हो जाते हैं अभी के हर फसल में दवा का इस्तेमाल करते है| दवा वाले को खाने से अभी के लोग बहुत ज्यादा बीमार पड़ते है. पहले के लोग जंगलो में जाकर जंगल से मशरुम, बांस,भाजी आदि सब्जियों को ज्यादातर खाते थे|और उसी के अभी के आदिवासी जो है अपनी बोली भाषा को धीरे-धीरे भूल रहे है क्योंकि अभी थोडा बहुत पढ लिख लेते है तो जैसे 12 वी या कोलेज तो हिंदी, अंग्रेजी ज्यादा बोलने लगते हैं और देवी-देवताओ को भूल जाते है |
Posted on: Sep 11, 2018. Tags: AGRICULTURE AMAR MARAVI CG PAKHANJUR KANKER VANANCHAL SWARA
वनांचल स्वर : जंगल से कई तरह के भाजी,मशरूम आदि मिलते हैं, हमे जंगल की रक्षा करना चाहिए...
सीजीनेट जन पत्रकारिता जागरूकता यात्रा आज ग्राम-पालनदी, पंचायत-जनकपुर, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) में पहुँची है वहां से गाँव के संतराम और सनीता गावड़े अमर मरावी को बता रहे हैं कि उनका गाँव जंगल से घिरा हुआ है, उस जंगल में अनेक तरह के खाद्य पदार्थ जैसे करील, पोटू आदि तथा कई तरह के भाजी, मशरूम आदि मिलते हैं| फल-फूल, शुद्ध वायु, जड़ी-बूटी जंगल से मिलती है जो स्वास्थ्य के लाभदायक होता है. जंगल से घर बनाने हेतु काष्ट (लकड़ी) भी भरपूर मात्रा में मिलती है इसलिए जंगल की सुरक्षा करना चाहिए जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए भी वह उपयोगी हो सके:
Posted on: Sep 09, 2018. Tags: AMAR MARAVI CG KANKER SWARA VANANCHAL
वनांचल स्वर : सड़क नहीं है तो हम लोग जंगली देशी जड़ी-बूटियों से बीमारियों का इलाज करते है...
ग्राम-जामकुटनी, पंचायत-बेलगाल, तहसील-पखांजूर, प्रखण्ड-कोयलीबेडा, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से सुरजू दुग्गा बता रहे हैं कि उनके गाँव में रोड और नदी पर पुल नही है आने जाने में बहुत परेशानी होती है बीमार हालत में अस्पताल जा नही पाते हैं, इसलिए अधिकतर वे अपने इलाज जंगली जड़ी-बूटी से करते हैं, गाँव में अनेक तरह के गुनिया, वैद्य हैं जो अलग-अलग बीमारियों का इलाज करते हैं| उन्ही के पास से देशी उपचार करवाते हैं, जैसे सांप, बिच्छु, मलेरिया, पेट में दर्द, सर्दी खांसी का पूरा इलाज देशी जड़ी-बूटी से करते हैं इनका असर नहीं होने से अंगरेजी दवाइयों का उपयोग करते हैं, ये सभी औषधीय पेड़-पौधे हमारे जंगल में ही मिल जाता है उनकी सुरक्षा करनी चाहिए...