गेंद गिर गए जमुना मा, कूदो कन्हैया...बाल कविता-
ग्राम-बैजलपुर, जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़) से पांचवी कक्षा की छात्रा इंद्रानी हरिशंकर रजक को एक बाल कविता सुना रही है :
गेंद गिर गए जमुना मा, कूदो कन्हैया-
काका मेरा गाए गेंद के खेलईया-
काकी मेरा गाए गेंद के खेलईया-
भईया मेरा गाए गेंद के खेलईया-
गेंद गिर गए जमुना मा, कूदो कन्हैया-
भाभी मेरा गाए गेंद के खेलईया...
Posted on: Sep 25, 2018. Tags: CG CHILDREN HARISHANKAR RAJAK KABIRDHAM POEM SONG VICTIMS REGISTER
छोटी सी मछली पानी में बिछली...बाल कविता-
ग्राम-बैजलपुर, जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़) से हरिशंकर रजक एक छोटी से बालिका राधिका से एक बाल कविता सुन रहे हैं :
छोटी सी मछली पानी में बिछली-
पापा ने पकड़ा मम्मी ने पकाया-
मोटा भईया खाया-
मछली जल की रानी हैं, जीवन उसका पानी हैं-
हाथ लगाओ डर जाती है, बाहर निकालो मर जाती है-
आजा राजा राजा मामा लाया बाजा...
Posted on: Sep 24, 2018. Tags: CG CHILDREN HARISHANKAR RAJAK KABIRDHAM POEM SONG VICTIMS REGISTER
री लो यो री री लो री री लो, नीमा बागा मंदक के बाब...गोंडी छट्टी गीत
ग्राम-नाडापर्सी, तहसील-पखांजूर, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छतीसगढ़) से मानको और जन्नो एक गोंडी छट्टी गीत सुना रहे है, जो घर में बच्चा पैदा होने के छठवे दिन के कार्यक्रम में गाया जाता है, उससमय बच्चे का नामकरण भी करते हैं:
री री लोयो री री लो री री लो री लोयो रीरी लो रीरी लो-
री लो यो री री लो रीरी लो, नीमा बागा मंदक के बाबू-
बाबू रोय नीमा बागा मंदाक रोय बाबू जो जोलीग – नीमा बगा मंदाक रोय बाबू बाबू रोय नीमा बागा मंदक रोय बाबू-
जो जोलिग़ जो जोलिग़ बाबू ,पेपी नगा मंदाक रोय बाबू बाबू रोय ...
Posted on: Sep 24, 2018. Tags: CG CHILDREN GONDI KANKER PAKHANJUR RANO WADDE SONG
बस के नीचे केला, मामाजी का मेला...बाल कविता-
ग्राम-बैजलपुर, जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़) से शंकर रजक कक्षा 3 के छात्र बिसंभर से एक बाल कविता सुना रहे हैं:
बस के नीचे केला, मामाजी का मेला-
मेला देखने जाऊंगा, अंटी को बुलाऊंगा-
ओ मेरा अंटी, बजा मेरा घंटी-
घंटी में कुछ नही मामा जी का मूंछ नही...
Posted on: Sep 24, 2018. Tags: CG CHILDREN KABIRDHAM POEM SANKAR RAJAK SONG VICTIMS REGISTER
जंगल में एक वृक्ष खड़ा था, सब वृक्षों से बड़ा था...बाल कविता
ग्राम-देवरी, ब्लाक-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से कैलाश सिंह पोया एक बाल कविता सुना रहे हैं :
जंगल में एक वृक्ष खड़ा था, सब वृक्षों से बड़ा था-
लंबा चौड़ा छायादार, उसके नीचे था बाजार-
बंदर बेच रहा था आलू, उसको तोल रहा था भालू-
हिरण लिया सब्जी का ठेला, बेच रहा था हरा केला-
लौकी, कोहड़ा और पपीता लेकर आया बूढा चीता-
खरहा हरी मिर्च ले आये, बंदरिया को लगे उसे चखाए...