छत के ऊपर बिजली का तार है, बच्चों के साथ दुर्घटना का खतरा बना रहता है...
वीरनारायण भारद्वाज, ग्राम पंचायत छिंदावाड़ा, ब्लाक लोहांडीगुड़ा, जिला बस्तर, छत्तीसगढ़ से बता है उनके घर के छत ऊपर से बिजली तार लगी है। बच्चों के साथ दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है, इसके लिए बिजली विभाग वालों को कई बार बोले हैं, परंतु कोई ध्यान नहीं दे रहे है। इसलिए सीजीनेट के साथियों से मदद की अपील कर रहे है की दिए गए नंबरों पर बात करके मंदिर में बिजली लगवाने में मदद करें: 8488956694, सीईओ@8889251366, संपर्क नंबर@6263829536.
Posted on: Aug 21, 2021. Tags: BASTAR CG CHHINDAWADA CHILDRENS SAFETY ELECTRIC WIRE LOHANDIGUDA
लाल टमाटर खाऊँगी पाकिस्तान को जाऊँगी....बाल कविता
ग्राम-खैराभाट पंचायत-खडकागाँव ब्लॉक -नारायणपुर, जिला-नारायणपुर (छत्तीसगढ़) से जनकबती कुमेटी हमारे श्रोताओं को एक बाल कविता सुना रही है:
लाल टमाटर खाऊँगी पाकिस्तान को जाऊँगी-
6 पकड़कर लाऊँगी मात्रभूमि के चरणों में-
अपना शीश झुकाउँगी खाकी कोयल कू-
कू कू चलती है खा खा खरगोश बड़ा है
CS
Posted on: Jun 18, 2020. Tags: BHAMRAGAD GADCHIROLI CG CHILDREN JANAKBATI KUMETI POEM SONG VICTIMS REGISTER
मछली जल की रानी है...बाल कविता-
भामरागढ़, जिला-गडचिरोली (महाराष्ट्र) से प्रीतम एक बाल कविता सुना रहे हैं:
मछली जल की रानी है-
जीवन उसका पानी है-
हाँथ लगाओ डर जायेगी-
बाहर निकालो मर जायेगी-
एगा एगा सॉरी मलने बड़के बोरी...
Posted on: Jun 15, 2020. Tags: CHILDREN GADCHIROLI MH POEM PRITAM SONG VICTIMS REGISTER
है नमच के बात बच्चों...बाल गीत-
बैकुंठपुर, जिला-कोरिया (छत्तीसगढ़) से पूनम देवांगन एक बालगीत सुना रही हैं :
है नमच के बात-
दो छोटे हाथ मारे दिनभर काम करती है-
जब रात में थक जाती है तो सो जाती है-
दो छोटे पैर मारे दिनभर चला करती है-
जब रात में थक जाती है तो सो जाती है...
Posted on: Jun 15, 2020. Tags: CG CHILDREN KOREA PUNAM DEVANGAN SONG VICTIMS REGISTER
कंदा कुसला तो भोजन लाही रे, चंपा पडिगे हे अकेल...सरगुजिहा बाल गीत-
ग्राम-भरदा, पोस्ट-कोटया, तहसील-प्रतापपुर, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से रामसिंह टेकाम सरगुजिहा भाषा में एक कहानी और गीत के माध्यम से एक बच्चे की व्यथा को सुना रहे हैं :
कंदा कुसला तो भोजन लाही रे, चंपा पडिगे हे अकेल-
माता पिता अजनवईयापुर में, हंसा हर फिरथे अकेल-
फेको चला रोड वन में कारी कुवरी-
एगा रघुवर हर बीने
फिर चला रुण्ड बन में कारी कुहेर-
माता-पिता बनवास लिखेंन हो लिखीन बनकी आवहेल...
शीसा तो मुनि हर जता लोके-
कन्दा कुसला तो भोजना लागी रे चंपा पड़े है अकेल...