कई सिल टूट गये कई बिल खराब...कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडियारी एक कविता
सुना रहे हैं:
कई सिल टूट गये कई बिल खराब-
जब से उद्योगपति सब कुछ हुआ बर्बाद-
माँ बहन बिक गये हरियाली हुयी बिनास-
गांव-गांव उजड़ गया उद्योगपति का हुआ राज-
कई सिल टूट गये कई बिल खराब...
Posted on: Jun 08, 2022. Tags: CG POEM RAIGDH
माँ तो बस माँ होती है, भाषा परिभाषा और तुलनाओं से परे
सजी नेट के श्रोताओं को राजुराम राणा जी एक पुस्तक “बस्तर बोलता भी है” से माँ शीर्षक से कविता सुना रहे हैं| अधिक जानकारी के लिए संपर्क नंबर @6205435548 पर बात कर सकते हैं,
माँ तो बस माँ होती है, भाषा परिभाषा और तुलनाओं से परे, माँ तो बस माँ होती हैमाँ का होना होता है सबकुछ का होना, माँ का न होना होता है अनंत शून्य का होना
माँ तुम सचमुच अद्भुत होती हो, बच्चों के रोने के पहले तुम रोटी हो
तुम धरती हो सुख भरती हो,बस देना ही जानती हो, सोना चांदी हीरा मोती
अपने बच्चों को ही मानती हो, लेकिन जिन हाथों में निवाला गले से न उतरता था
जिन थपकियों के बिना नींद आँखों में न उतरते थे, पर अफसोस बच्चे अब एक फोन के लिए भी वक्त निकाल नहीं पाते, माँ के रूप मे भगवान तो सबको मिलते हैं पर अधिकतर अभागे उसे पहचान नहीं पाते हैं . .. . .
Posted on: Jun 08, 2022. Tags: BASTAR CG POEM JAGDALPUR MOTHER OF
रिम जिम रिम जिम पानी भरते...कविता
ग्राम-डोकम, ब्लाक-जजापुर, जिला-जांजगीर चांपा (छत्तीसगढ़)से संपतनात यादव जी के सात बचें एक छत्तीसगढ़ी कविता सुना रहे हैं:
बादल ऊपर बादल साजे चल भय्या-
रिम जिम रिम जिम पानी भरते-
बादल ऊपर बादल साजे चल भय्या...
Posted on: Feb 11, 2022. Tags: CG CHAMPA JAJAPUR JANJGIR POEM
देश विदेश आदिवासियों को रायपुर में बुलाया हैं...कविता
जिला-राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से विरेन्द्र गंधर्व एक कविता सुना रहे हैं:
देश विदेश आदिवासियों को रायपुर में बुलाया हैं-
यथा नाम तथा गुण तेरे छतीसगढ़ का नाम बढाया हैं-
भूपेश का अर्थ राजा होता हैं, राजा जैसा ठाठ बाट हैं-
तेरे ही कारण छत्तीसगढ़ का ऊचा हुआ ललाठ हैं-
गांव-गांव का उन्ती का जमा पुने पहनाया हैं...GT
Posted on: Nov 02, 2021. Tags: CG POEM RAJNANDGANV VIRENDRA GANDHARV
भूखे-मजदूर-किसानों के लिए, वीर नारायण सिंह ने अपना खून बहाया था...कविता
भागीरथी वर्मा, रायपुर, छतीसगढ़ से हैं. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अभी हाल ही में वीर नारायण सिंह का शहादत दिवस मनाया गया है. उसी सन्दर्भ में एक कविता का प्रस्तुत कर रहे हैं:
छतीसगढ़ के सोनाखान में, इंक़लाब का बिगुल बजाया था
भूखे-मजदूर-किसानों के लिए, वीर नारायण सिंह ने अपना खून बहाया था
सन 1856 के अकाल में
भूख से बिलखते, गरीब-किसानों के जीवन की रक्षा में
अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष चलाया था
छतीसगढ़ के सोनाखान में...
सोये हुए आदिवासियों को, उस वीर ने जगाया था
बेईमानों को ललकारा था
ऐ लुटेरे ! तू खाली हाथ आया है, अब खाली हाथ ही जाएगा
छतीसगढ़ के सोनाखान में...
जन आंदोलन देखकर, मक्कारों ने घबराया था
राजद्रोही बनाकर उस वीर को, जेल में ठूंसवाया था
जल्लाद अंग्रेज ने भी उस वीर के साथ, कैसा दुर्व्यवहार रचाया था
बीसों नाख़ून खींचकर, उँगलियों को लहू-लुहान बनाया था
छतीसगढ़ के सोनाखान में...
10-दिसंबर-1857 का, वह मनहूस दिन भी आया था
देश के गद्दारों ने जयस्तंभ चौक पे, उस वीर को फांसी पर लटकाया था
उस वीर के शहीद होने से, छत्तीसगढ़ के धरती में मातम सा पसराया था
छतीसगढ़ के सोनाखान में...