कई सिल टूट गये कई बीर खराब- कविता
कन्हैयालाल पटियारी ग्राम-तमनार, जिला रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से एक कविता सुना रहे हैं:
कई सिल टूट गये कई बीर खराब-
जब से द्रोपति आया सब कुछ हुआ बर्बाद-
माँ बहन बिक गये हरियाली हुयी विनाश-
गांव गांव गुजर गया द्रोपतियों का हुआ राज-
Posted on: Nov 28, 2022. Tags: CG POEM RAIGDH
अंधारी रात भोडर पानी...कविता
ग्राम पंचायत देवरी, थाना चंदौरा, ब्लॉक प्रतापपुर, जिला सूरजपुर छत्तीसगढ़ से कैलाश सिंह पोया एक कविता सुना रहे हैं:
अंधारी रात भोडर पानी,
नईं चीन्हे देवरानी जेठानी,
इंजोरी रात फूल खार,
फरे फूले नव बार...
Posted on: Nov 22, 2022. Tags: CG POEM PRTAPPUR SURAJPUR
क्या तुम शिक्षित हो तो सच में संगठित हो जाओ... कविता
भागीरथी वर्मा रायपुर (छत्तीसगढ़) से सीजीनेट के श्रोताओं को एक कविता सुना रहे हैं जिसका शीर्षक है “क्या तुम शिक्षित हो”-
क्या तुम शिक्षित हो, तो सच में संगठित हो जाओ-
दो से चार चार से हजार हजार से लाख बन जाओ-
क्या सच में शिक्षित हो तो आवाज उठाओ-
रोड पर आओ अपने प्रतिद्वंदी सरकार को हिलाओ-
अपनी ताकत आजमाओ क्या सच में शिक्षित हो तो कलम उठाओ
कलम को हथियार बनाओ...
Posted on: Oct 13, 2022. Tags: CG POEM RAIPUR
चार बिल्ली ने चूहे को पकड़ा...कविता-
राजेन्द्र प्रताप सिंग कबीरधाम(छत्तीसगढ़) से एक कविता सुना रहे हैं:
चार बिल्ली ने चीकू चूहे को पकड़ा ,मैं खाऊँगी मैं खाऊंगी हुआ सभी में झगड़ा-
बोला चीकू अरी मौसियों आपस में मत झगड़ों,दूर नीम कस पेड़ खड़ा है जाकर उसको- पकड़ो ,जो भी इसको छूकर सबसे पहले आ जाएगी,बिना किसी को हिस्सा बांटे वह मुझे- खाएगी ,मूर्ख बिल्लियाँ समझ ना पाई सरपट दौड़ लगाई-
भागा चीकू अपनी जान बचाई...
Posted on: Oct 08, 2022. Tags: CG KABIRDHAM POEM RAJENDRAPRATAP SINGH
मे तिलका मांझी ने बिहार बांगलपुर... कविता
भागीरथी वर्मा रायपुर छत्तीसगढ़ से सीजी नेट के श्रोताओं एक कविता सुना रहे हैं:
मे तिलका मांझी ने बिहार बांगलपुर मे अग्रेजों के खिलाफ जंग छेड़ा था|
आदिवासी सेना बनाकर अंग्रेजों का नींद हराम कर डाला था, अंग्रेज कलेक्टर कलस्तर को जहरीली तीरों से मौत के घाट उतारा था, तिलका माँजी ने ब्रिटिश शासक ने खून का बादल मंडराया था सपने में भी नहीं सोचा था जंगल में रहने वाला आदिवासी ऐसा हिमाकत कर डालेगा, अंग्रेजी शासक को भी हिला डालेगा ,बदकिस्मत से गद्दारों ने तिलका माँजी को पकड़वा दिया, चार घोड़े में बांधकर बांगलपुर लाया था खून से लटपत वीर तिलका को फिर भी जिंदा पाया था|