माँ तो बस माँ होती है, भाषा परिभाषा और तुलनाओं से परे

सजी नेट के श्रोताओं को राजुराम राणा जी एक पुस्तक “बस्तर बोलता भी है” से माँ शीर्षक से कविता सुना रहे हैं| अधिक जानकारी के लिए संपर्क नंबर @6205435548 पर बात कर सकते हैं,

माँ तो बस माँ होती है, भाषा परिभाषा और तुलनाओं से परे, माँ तो बस माँ होती है
माँ का होना होता है सबकुछ का होना, माँ का न होना होता है अनंत शून्य का होना
माँ तुम सचमुच अद्भुत होती हो, बच्चों के रोने के पहले तुम रोटी हो
तुम धरती हो सुख भरती हो,बस देना ही जानती हो, सोना चांदी हीरा मोती
अपने बच्चों को ही मानती हो, लेकिन जिन हाथों में निवाला गले से न उतरता था
जिन थपकियों के बिना नींद आँखों में न उतरते थे, पर अफसोस बच्चे अब एक फोन के लिए भी वक्त निकाल नहीं पाते, माँ के रूप मे भगवान तो सबको मिलते हैं पर अधिकतर अभागे उसे पहचान नहीं पाते हैं . .. . .

Posted on: Jun 08, 2022. Tags: BASTAR CG POEM JAGDALPUR MOTHER OF

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