भूखे-मजदूर-किसानों के लिए, वीर नारायण सिंह ने अपना खून बहाया था...कविता
भागीरथी वर्मा, रायपुर, छतीसगढ़ से हैं. छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अभी हाल ही में वीर नारायण सिंह का शहादत दिवस मनाया गया है. उसी सन्दर्भ में एक कविता का प्रस्तुत कर रहे हैं:
छतीसगढ़ के सोनाखान में, इंक़लाब का बिगुल बजाया था
भूखे-मजदूर-किसानों के लिए, वीर नारायण सिंह ने अपना खून बहाया था
सन 1856 के अकाल में
भूख से बिलखते, गरीब-किसानों के जीवन की रक्षा में
अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष चलाया था
छतीसगढ़ के सोनाखान में...
सोये हुए आदिवासियों को, उस वीर ने जगाया था
बेईमानों को ललकारा था
ऐ लुटेरे ! तू खाली हाथ आया है, अब खाली हाथ ही जाएगा
छतीसगढ़ के सोनाखान में...
जन आंदोलन देखकर, मक्कारों ने घबराया था
राजद्रोही बनाकर उस वीर को, जेल में ठूंसवाया था
जल्लाद अंग्रेज ने भी उस वीर के साथ, कैसा दुर्व्यवहार रचाया था
बीसों नाख़ून खींचकर, उँगलियों को लहू-लुहान बनाया था
छतीसगढ़ के सोनाखान में...
10-दिसंबर-1857 का, वह मनहूस दिन भी आया था
देश के गद्दारों ने जयस्तंभ चौक पे, उस वीर को फांसी पर लटकाया था
उस वीर के शहीद होने से, छत्तीसगढ़ के धरती में मातम सा पसराया था
छतीसगढ़ के सोनाखान में...
Posted on: Aug 12, 2021. Tags: BHAGIRTHI WARMA CG POEM RAIPUR
निरंकुश सत्ता से विपक्ष डरे सहमे हुए रहती है...कविता-
रायपुर (छत्तीसगढ़) से भागीरथी वर्मा एक निरंकुश के ऊपर कविता सुना रहे हैं:
निरंकुश सत्ता से विपक्ष डरे सहमे हुए रहती है-
कहीं विरोध करने पर हमारे सम्पति बुलडोजर ना चलावे-
इसलिए सत्ता के साथ कदम ताल मिलाने लगी है-
मीडिया भी तंत्र का डफली बजाने लगी शिक्षा का नाम मत लो-
जनता अनपढ़ गवार रहे भूखे पेट सोने तयार रहे
आवाज भी ना उठा सके इसलिए स्कूल कॉलेज बंद रखेगी-
निरंकुश सत्ता से विपक्ष डरे सहमे हुए रहती है...