लॉकडाउन में परेशान हैं प्रवासी मजदूर नहीं मिल रहा राशन भूखे पेट सो रहे हैं उनके बच्चे
अख्तर ग्राम- नया गाँव, जिला-गौतमबुद्ध नगर, ग्रेटर नोएडा (उ.प्र.) से अपनी समस्या बता रहे हैं कि वे बिहार के रहने वाले हैं, नोयडा में दिहाड़ी पर मजदूरी करते हैं कोरोना के कारण अब न तो काम है और न ही खाने के लिए राशन उनके घर में बच्चों के साथ 5 लोग निवास कर रहे हैं , बच्चे खाली पेट ही सो जा रहे हैं इनको बिना भोजन के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है इसलिए ये सी.जी.नेट के साथियों से मदद की अपील कर रहे हैं मोबाइल नंबर अख्तर@8802334027
Posted on: May 13, 2020. Tags: AKHTAR RATION CORONA IN NOIDA PROBLEM SONG U.P. VICTIMS REGISTER
नोएडा में परिवार के साथ फंसे है, खाने को राशन नहीं है, कृपया मदद करें...
जिला-रोहतास बिहार के अख्तर रहने वाले है अभी लॉकडाउन के कारण नोएडा फेस-2 गौतम बुद्ध नगर नयागाँव गली नम्बर 4 में परिवार के साथ रह रहे है उनके परिवार में 5 लोग है | उनके पास खाने के लिए राशन नहीं है | इसलिए साथी सीजीनेट सुनने वाले साथियों से मदद की अपील कर रहे हैं कि खाने की व्यवस्था कराई जाए| सम्पर्क नम्बर@8802334027. (166934)
Posted on: May 12, 2020. Tags: AKHTAR CORONA PROBLEM NOIDA UP SONG VICTIMS REGISTER
Govt approved house for Bidi workers in 2007, They're still waiting,Pls help...
Shahida Bano is President of Bidi laborers union in Rewa Madhya Pradesh and says Govt had approved housing for 961 bidi laborers in 2007. The money for the same was also released in 2012 but the laborers are yet to get the houses because of lack of co-ordination between various Govt agencies. You are requested to call Collector at 09425147040 and S.D.M at 09425948788 to help.For more Shahida Ji can be reached at 07580975579
Posted on: Apr 16, 2014. Tags: Shahid Akhtar
कितने रंगों में बिखरे हैं तेरे यादों के गुल! शाहिद अख्तर की नज़्म
कितने रंगों में
बिखरे हैं तेरे यादों के गुल!
कितने अश्कों में
सजाएं हैं तसव्वर तेरे!
दर्द के कितने लहजों में
लिखे हैं मैंने चाहत के फसाने
दर्द से अजनबी यां कौन है?
दर्द की शननसाई ही तो है
इस ज़िंदगी का मेराज!
ना जाने कितने दर्द को किया है
मैंने अपने अरमानों को उन्वान
मेरे मह्बूब तू ही बता
किस दर्द में करूं
मैं तेरी शिनाख्त?
शाहिद अख्तर
गुल = फूल;
अश्कों = आंसुओं;
तसव्वर = कल्पना;
फसाने = कहानियां;
यां = यहां;
शनासाई = पहचान;
मेराज = बुलंदी;
उन्वान = शीर्षक;
शिनाख्त = पहचान
Posted on: Apr 26, 2011. Tags: Shahid Akhtar
तितलियां : शाहिद अख्तर की एक कविता
रात सोने के बाद
तकिये के नीचे
सिसकती हुई
आती हैं यादों की तितलियां
तितलियां पंख फडफडाती हैं
कभी छुआ है तुमने इन तितलियों को
खूबसूरत पंखों को
मीठा मीठा
सदा मस्त है उनमें
एक सुलगता सा एहसास
जो गीली कर जाते हैं मेरी आंखें
तितलियां पंख फडफडाती हैं
तितलियां उड जाती हैं
वक्त की तरह
तितलियां यादें छोड जाती हैं
खुद याद बन जाती हैं
तितलियां बचपन की तरह हैं
मासूम,खिलखिलाती
हमें अपने मासूमियत की याद दिलाती हैं
जिसे हम खो बैठे हैं जाने अंजाने
चंद रोटियों की खातिर
जीवन के महासमर में
हर रात नींद के आगोश में
जीवन के टूटते,ढहते सपनों के बीच
मैं खोजता हूं
अपने तकिए के नीचे
कुछ पल बचपन के
कुछ मासूम तितलियां
शाहिद अख्तर