खाली है एक हवेली बिना किसी किराये के
खाली है एक हवेली बिना किसी किराये के
शर्त बस इतनी है किरायेदार अच्छे हों
भाषा प्यार की बोलें रहें सुकून से
अमन और शांति से झगड़े करें जरूर
मगर विचारों के तलवार चलाएं शौक से
कि कोई हर्ज नहीं इसमें
जंग की भी इजाजत है
बस ख्याल यह रखें
जंग तारीक ताकतों से करें
तो फिर से मैं अर्ज कर दूं
मेरे दोस्तो
इंतजार है किरायेदारों का कि बहुत जगह है
दिल की इस बोसीदा सी हवेली में
शाहिद अख्तर