Govt approved house for Bidi workers in 2007, They're still waiting,Pls help...

Shahida Bano is President of Bidi laborers union in Rewa Madhya Pradesh and says Govt had approved housing for 961 bidi laborers in 2007. The money for the same was also released in 2012 but the laborers are yet to get the houses because of lack of co-ordination between various Govt agencies. You are requested to call Collector at 09425147040 and S.D.M at 09425948788 to help.For more Shahida Ji can be reached at 07580975579

Posted on: Apr 16, 2014. Tags: Shahid Akhtar

कितने रंगों में बिखरे हैं तेरे यादों के गुल! शाहिद अख्तर की नज़्म

कितने रंगों में
बिखरे हैं तेरे यादों के गुल!
कितने अश्कों में
सजाएं हैं तसव्वर तेरे!
दर्द के कितने लहजों में
लिखे हैं मैंने चाहत के फसाने
दर्द से अजनबी यां कौन है?
दर्द की शननसाई ही तो है
इस ज़िंदगी का मेराज!
ना जाने कितने दर्द को किया है
मैंने अपने अरमानों को उन्वान
मेरे मह्बूब तू ही बता
किस दर्द में करूं
मैं तेरी शिनाख्त?

शाहिद अख्तर

गुल = फूल;
अश्कों = आंसुओं;
तसव्वर = कल्‍पना;
फसाने = कहानियां;
यां = यहां;
शनासाई = पहचान;
मेराज = बुलंदी;
उन्वान = शीर्षक;
शिनाख्त = पहचान

Posted on: Apr 26, 2011. Tags: Shahid Akhtar

तितलियां : शाहिद अख्तर की एक कविता

रात सोने के बाद
तकिये के नीचे
सिसकती हुई
आती हैं यादों की तितलियां

तितलियां पंख फडफडाती हैं
कभी छुआ है तुमने इन तितलियों को
खूबसूरत पंखों को
मीठा मीठा
सदा मस्त है उनमें
एक सुलगता सा एहसास
जो गीली कर जाते हैं मेरी आंखें

तितलियां पंख फडफडाती हैं
तितलियां उड जाती हैं
वक्त की तरह
तितलियां यादें छोड जाती हैं
खुद याद बन जाती हैं

तितलियां बचपन की तरह हैं
मासूम,खिलखिलाती
हमें अपने मासूमियत की याद दिलाती हैं
जिसे हम खो बैठे हैं जाने अंजाने
चंद रोटियों की खातिर

जीवन के महासमर में
हर रात नींद के आगोश में
जीवन के टूटते,ढहते सपनों के बीच
मैं खोजता हूं
अपने तकिए के नीचे
कुछ पल बचपन के
कुछ मासूम तितलियां

शाहिद अख्तर

Posted on: Apr 23, 2011. Tags: Shahid Akhtar

खाली है एक हवेली बिना किसी किराये के

खाली है एक हवेली बिना किसी किराये के
शर्त बस इतनी है किरायेदार अच्‍छे हों
भाषा प्‍यार की बोलें रहें सुकून से
अमन और शांति से झगड़े करें जरूर
मगर विचारों के तलवार चलाएं शौक से
कि कोई हर्ज नहीं इसमें
जंग की भी इजाजत है
बस ख्‍याल यह रखें
जंग तारीक ताकतों से करें
तो फिर से मैं अर्ज कर दूं
मेरे दोस्‍तो
इंतजार है किरायेदारों का कि बहुत जगह है
दिल की इस बोसीदा सी हवेली में

शाहिद अख्‍तर

Posted on: Nov 23, 2010. Tags: Shahid Akhtar

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