छोटा-छोटा उजला-उजला रुव हल्का रुई जैसा...कविता
मालीघाट, जिला-मुज्जफरपुर (बिहार) से सुनील कुमार हरिनारायण गुप्ता की कविता खरहा सुना रहे है:
छोटा-छोटा उजला-उजला रुव हल्का रुई जैसा-
सही देखते सहला सहला कोमल तन लगता यहे जैसा-
दूध घास खाकर दिनभर बगिया मई है दोड़ लगता-
पर कुते बिल्ली से डरकर पिंजरे में वह छिप छिप जाता-
इधर-उधर ही भाग दौड़कर...
Posted on: Feb 17, 2017. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
बुद्ध के समय से उत्तर बिहार के साथ-साथ नेपाल के तराई इलाको में बज्जिका भाषा बोली जाती है...
मुजफ्फरपुर, (बिहार) से सुनील कुमार बज्जिका भाषा के विषय में अपनी बात रख रहे है:
उत्तर बिहार के साथ-साथ नेपाल के तराई इलाको में भी बज्जिका भाषा बोली जाती है बज्जिका शब्द का निर्माण बज्जि शब्द में क और अ प्रत्यय के लगने से हुआ है बज्जिका के समबन्ध में स्वर्गीय श्री रामवृक्ष बेनीपुरी जी का विचार था की बज्जिका वही भाषा है जिसमे आम्रपाली ने भगवान बुद्ध से संवाद किया था सातवी सदी से लेकर नवमी सदी तक लिच्छवि वंश का शासन काल था कालांतर में चन्द्रगुप्त मौर्य के बाद लिच्छवि वंश समाप्त हो चूका था उसके समय में यह सेन परिवार बन चूका था यह भाषा चौथी सदी में उत्कर्ष में थी|पहले बुजुर्ग इसी भाषा का उपयोग करते थे.सुनील कुमार @9308571702
Posted on: Feb 04, 2017. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
हिन्दू या मुस्लिम के एहसास को मत छेडिये...कविता
मालिघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से
सुनील कुमार एक कविता सुना रहे है:
हिन्दू या मुस्लिम के एहसास को मत छेडिये-
अपनी ख़ुशी के लिए जज्बात को मत छेडिये-
हम में कोई पुन्य कोई शक कोई मंगोल है-
दफन है जो बात अब उस बात को मत छेडिये-
अपनी ख़ुशी के लिए जज्बात को मत छेडिये...
Posted on: Feb 03, 2017. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
मोहे लेले खिल सजनी ,मोरा मनवा ओ मनवा रागों...विवाह गीत
मालीघाट जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार एक विवाह गीत सुना रहे है:
मोहे लेले खिल सजनी मोरा मनवा ओ मनवा रागों-
के उपा उन्वा रगों सिया के सजनवा रागों – रजा केस्र्या के दुलरवा .उन्वा रागों-
अखियन में काजल कानी ...
Posted on: Feb 01, 2017. Tags: KUMAR SONG SUNIL VICTIMS REGISTER
मगरमच्छ, हाथी और बिहार में कोनहारा के पशु मेला की कहानी...
एक समय की बात हैं (कोन्हारा) गंगा के किनारे हाथी स्नान कर रहे थे तभी पानी के अन्दर से एक मगरमच्छ आया और हाथी के पैर को पकड के खीचने लगा हाथी ने बहुत प्रयास किया बाहर निकलने के लिए पर नही निकल पाया | कहा जाता है कि पानी के अन्दर मगरमच्छ की ताकत सौ हाथी के बराबर होती है इस तरह से हाथी अन्दर चला गया फिर हाथी भगवान् को याद करते हुए भक्ति किया माना जाता है भक्ति करने से भगवान् दौड़े चले आते है इस प्रकार से भगवान विष्णु के दर्शन हुए और उन्होंने मगरमच्छ का वध किया | इसी जगह बिहार में कोन्हारा का प्रसिद्ध पशु मेला लगता है प्रति वर्ष एक माह यह मेला चलता है, जहा अधिकांश व्यपारियों का आना-जाना लगा रहा है सुनील कुमार@9308571702