छोटा-छोटा उजला-उजला रुव हल्का रुई जैसा...कविता
मालीघाट, जिला-मुज्जफरपुर (बिहार) से सुनील कुमार हरिनारायण गुप्ता की कविता खरहा सुना रहे है:
छोटा-छोटा उजला-उजला रुव हल्का रुई जैसा-
सही देखते सहला सहला कोमल तन लगता यहे जैसा-
दूध घास खाकर दिनभर बगिया मई है दोड़ लगता-
पर कुते बिल्ली से डरकर पिंजरे में वह छिप छिप जाता-
इधर-उधर ही भाग दौड़कर...