हिन्दू या मुस्लिम के एहसास को मत छेडिये...कविता
मालिघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से
सुनील कुमार एक कविता सुना रहे है:
हिन्दू या मुस्लिम के एहसास को मत छेडिये-
अपनी ख़ुशी के लिए जज्बात को मत छेडिये-
हम में कोई पुन्य कोई शक कोई मंगोल है-
दफन है जो बात अब उस बात को मत छेडिये-
अपनी ख़ुशी के लिए जज्बात को मत छेडिये...