परेशानी सभी के जीवन में है उससे लड़ना और जीना सीखना चाहिये...कहानी-
एक कारीगर था, जो पत्थर तोड़ने का काम करता था, एक दिन वह एक फिल्म देखा जिसमे वह राजा के किरदार से प्रभावित हुआ, राजा को पालकी पर लेजाना नौकर, घोडा गाड़ी सभी को देखकर उसके मन में राजा बनने की इच्छा हुई और उसकी इच्छा पूरी हो गयी तो उसने सोचा की अब उससे बड़ा कोई नहीं है, एक उसके सेवक छतरी लाना भूल गये तब उसे धूप में तपना पड़ा, तब उसने सोचा कि मै सूरज होता तो दुनिया को तपाता, फिर वह सूरज बन गया तब उसे बादल ने ढक लिया, जब बादल से ढक गया तो बोला कास मै बादल होता, जब बादल बना तो हवा ने उड़ा दिया, तब सोचा कास मै हवा होता, हवा बना तो पहाड़ में टकरा गया, इस तरह से हारकर सोचा इससे अच्छा तो मै कारीगर ही ठीक था, दिन में काम करता और रात में आराम करता, कहानी से ये सीख मिलती है परेशानी सबके जीवन में है उससे लड़ना और जीना सीखना चाहिये|
Posted on: Feb 15, 2020. Tags: CG RAJNANDGAON SONG STORY VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
संत रविदास पर संदेश...
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से वीरेंद्र गंधर्व संत रवि दास की जीवन के बारे जानकारी दे रहे हैं, संत रविदास का जन्म दिन माघ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है रवि दास वे महान पुरुष थे जिन्होंने धन को महत्व नहीं दिया, उन्होंने दीनता और दरिद्रता में रहना स्वीकार किया| ज्ञान को महत्व दिया, समाज को तोड़ने वाले जाती पाति के बंधनों को तोड़ने का प्रयास किया धन को महत्व न देकर ज्ञान को महत्व दिया, क्यों कि धन ख़त हो सकता है लेकिन ज्ञान नहीं|
Posted on: Feb 10, 2020. Tags: CG RAJNANDGAON SONG STORY VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
यह भारत वर्ष हमारा है हमको प्राणों से प्यारा है...गीत-
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से वीरेन्द्र गंधर्व एक देश भक्ति गीत सुना रहे हैं:
यह भारत वर्ष हमारा है हमको प्राणों से प्यारा है-
है यहाँ हिमालय खड़ा हुआ शंकर शरिखा खड़ा हुआ-
जय हिन्द हमारा नारा है यह भारत वर्ष हमारा है-
जनमे थे यहीं राम सीता गूंजी थी यहीं मधुर गीता-
यमुना का शाम किनारा है यह भारत वर्ष हमारा है-
है मनोहर डोल रही वन में है कोयल बोल रही-
बहती सुगंध की धारा है यह भारत वर्ष हमारा है...
Posted on: Feb 09, 2020. Tags: CG RAJNANDGAON SONG VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
मातृभक्त चाणक्य की कहानी...
बहोत काम लोग जानते हैं कि चाणक्य मातृभक्त थे उनका जन्म राज घराने में हुआ था| पिता की मृत्यू के बाद एक दिन चाणक्य की माँ ने उनसे कहा “मुझे ऐसा लगता है तू मुझे भूल जायेगा राजा बनने के बाद” तब उन्होंने पूछा कैसे ? माँ ने कहा तेरे सामने के दांत से ऐसा लगता है तो उन्होंने अपने सामने के दांत पत्थर से तोड़ दिया और राज पाठ छोड़कर वन में कुटिया बनाकर रहने लगे और पूरा जीवन माँ की सेवा किया| इतिहास में कई ऐसे लोग हुये हैं जिन्होंने अपने माता पिता की सेवा किया और आज लोग उन्हें याद करते हैं|
Posted on: Feb 08, 2020. Tags: CG RAJNANDGAON SONG STORY VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
कर सके तो दर्द दिल की दवा कर...कविता-
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से वीरेंद्र गंधर्व कविता सुना रहे हैं:
कर सके तो दर्द दिल की दवा कर-
न कर सके तो दुआ कर-
दुआ करने में ही तेरा कल्याण है-
अन्यथा तू जीते जी निष्प्राण है-
तू कौन होता है किसी के अहित करने वाला-
जो कुछ करने वाला है ओ तो भगवान है-
कर सके तो दर्द दिल की दवा कर ...