कर सके तो दर्द दिल की दवा कर...कविता-
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से वीरेंद्र गंधर्व कविता सुना रहे हैं:
कर सके तो दर्द दिल की दवा कर-
न कर सके तो दुआ कर-
दुआ करने में ही तेरा कल्याण है-
अन्यथा तू जीते जी निष्प्राण है-
तू कौन होता है किसी के अहित करने वाला-
जो कुछ करने वाला है ओ तो भगवान है-
कर सके तो दर्द दिल की दवा कर ...