परहेज मे फिर जीवन बिता...गीत-
राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ से वीरेंद्र गंधर्व एक गीत सुना रहे हैं:
जादा मीठा खाना नहीं-
फिर पीछे पछताना नहीं-
चीनी रोगी हो जाओगे-
हाय हाय मे ही खो जाओगे-
गोलियो को खा चावल मत खा-
परहेज मे फिर जीवन बिता...
Posted on: Mar 15, 2021. Tags: CG RAJNANDGAON SONG VIRENDRA GANDHARV
निस तन धन की कौन बढ़ाई...भजन-
राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ से वीरेंद्र गंधर्व कवीर दास द्वारा रचित एक भजन सुना रहे हैं, जिसके बोल हैं “निस तन धन की कौन बढ़ाई” | अपने संदेश रिकॉर्ड करने के लिये 08050068000 पर मिस्ड कॉल कर सकते हैं|
Posted on: Mar 14, 2021. Tags: CG SONG VIRENDRA GANDHARV
अभिलाषा के विध्या के शिक्षा का सुविचारो से...कविता-
जिला-राजनदगावं (छत्तीसगढ़) से वीरेन्द्र गन्धर्व कविता सुना रहे है:
वीरेन्द्र गंद्रव नाम हमारा-
राजनादागावं गावं हमारा-
अभिलाषा के विध्या के-
शिक्षा का सुविचारो से-
हमें वितरक है-
लो ख़ुशी दो ख़ुशी-
तो खुशनुमा होगी जिन्दगी-
किले जितने वाले मिट जाते है-
दिल जितने वाले सदा याद किये जाते है...
Posted on: Mar 13, 2021. Tags: CG POEM RAJNANDGAON VIRENDRA GANDHARV
जादा मीठा खाना नहीं...गीत-
राजनांदगाँव, छत्तीसगढ़ से वीरेंद्र गंधर्व एक गीत सुना रहे हैं:
जादा मीठा खाना नहीं-
फिर पीछे पछताना नहीं-
चीनी रोगी हो जाओगे-
हाय हाय मे ही खो जाओगे-
गोलियो को खाओ चावल मत खा-
परहेज मे फिर जीवन बिता...
Posted on: Mar 12, 2021. Tags: CG RAJNANDGAON SONG VIRENDRA GANDHARV
वनांचल स्वर: सभी जातियों के मिलकर रहने से एक गांव बनता है...
ग्राम-धनेलीकन्हार, तहसील- कोरर, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से समधार नरेटी (ग्राम पटेल) बताते हैं कि जंगल से उनका अटूट रिश्ता है। उनके समुदाय के तीज त्यौहारों एवं रहन-सहन का जंगल से अलग ही जुड़ाव है। इसी कारण आदिवासी लोग कहते हैं कि जंगल ही हमारा जीवन है। उनके गांव में अनेक जाति के लोग रहते हैं। वह बताते हैं कि सब जाती के लोग मिलकर ही एक गांव है। उनके मुताबिक सभी जातियों के मिलके रहने से ही एक गांव बनता है।