विश्व शांति के लिये मरेंगे हम...गीत-
मालीघाट, मुजफ्फरपुर (बिहार) से तनवी रमन एक गीत सुना रहे हैं:
विश्व शांति के लिये जियेंगे हम-
विश्व शांति के लिये मरेंगे हम-
रंग नस्ल भाषा भेद क्यों रहे-
जाति धर्म क्षेत्र भेद क्यों रहे-
भेद मिटेगा मिटेंगे गम-
विश्व शांति के लिये मरेंगे हम...
Posted on: Jan 11, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो...सोहर गीत-
मालीघाट, मुजफ्फरपुर (बिहार) से तनवी रमन एक सोहर गीत सुना रही हैं:
जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो-
ललना लाल होइहे, कुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो-
आज के दिनवा सुहावन, रतिया लुभावन हो-
ललना दिदिया के होरिला जनमले, होरिलवा बडा सुन्दर हो-
नकिया त हवे जैसे बाबुजी के,अंखिया ह माई के हो-
ललन मुहवा ह चनवा सुरुजवा त सगरो अन्जोर भइले हो-
सासु सुहागिन बड भागिन, अन धन लुटावेली हो-
ललना दुअरा पे बाजेला बधइया, अन्गनवा उठे सोहर हो...
Posted on: Jan 11, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
जल जीवन हरियाली देती सब को खुसहाली...गीत-
मालीघाट, मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार एक जन जागरूकता गीत सुना रहे हैं:
जल जीवन हरियाली देती सब को खुसहाली-
स्वच्छता से बहियों बहनों, दूर होगी सबकी बीमारी-
साफ सफाई से भईयो बहनों दूर होगी सबकी बीमारी-
जल जीवन हरियाली देती सब को खुसहाली-
स्वच्छता से बहियों बहनों, दूर होगी सबकी बीमारी-
साफ सफाई से भईयो बहनों दूर होगी सबकी बीमारी...
Posted on: Jan 11, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
वज्जिका भाषा और गुरुगोविंद सिंह पर चर्चा...
मालीघाट, मुज़फ्फर (बिहार) से सुनील कुमार सनाजसेवी जोगिंदर सिंह दलवीर से गुरु गोविंद सिंह जी के बारे में चर्चा कर रहे हैं, गोविंद सिंह जी का जन्म 26 दिसंबर , 1666
पटना में हुआ, उनकी मूल भाषा वज्जिका थी, उन्होंने कई काव्य रचनायें वज्जिका भाषा में की, ये भाषा बिहार के वैशाली और मुज़फ्फर जिले में बोली जाती है,
राज केहू हस न देई हैं जे लेई है-
निज भुज से लेई हैं, निज बल से लई हैं|
इस तरह से उनकी कई रचनायें हैं ...
Posted on: Jan 08, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG STORY SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
मेरे खेतो को जानने का हक है, क्या बात कहे बड़े बड़े...गीत-
मालीघाट, मुज़फ्फर, बिहार से सुनील कुमार एक लोकगीत सुना रहे हैं :
मेरे खेतो को जानने का हक है-
क्या बात कहे बड़े बड़े-
जो फसलो में जान नहीं है-
मेरे नदियों को जानने का हक है-
क्यों जहर पिलाये कारखाने-
क्यों नदियों में जान नहीं हैं-
मेरे जंगलो को जानने का हक है-
क्यों झरनों का नाम नहीं है...