नेता घर-घर जाता, पैर पकड़कर मांगता...व्यंग्य रचना
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडिहारी एक व्यंग्य रचना सुना रहे हैं :
नेता घर-घर जाता पैर पकड़कर मांगता-
किसी को कुछ नहीं देता अपने ही घर भरने के फिराक में रहता-
पांच साल में एक बार आता, सांथ में 100-50 शहर घुमाता-
मीठी-मीठी बाते करता अपना झोली भरके ले जाता-
फिर दर्शन नही देता छुप-छुप कर रहता-
कभी सामने नही आता अपना मुह घुमा लेता...
Posted on: Mar 11, 2018. Tags: KANAHIYALAL PADIHARI SONG VICTIMS REGISTER
झनी रो तै झनी रो मोर कोरा के बेटी...बेटी गीत
तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडिहारी एक बेटी गीत सुना रहे हैं :
झनी रो तै झनी रो मोर कोरा के बेटी-
मै तोला जनम करे हों तोला मै पालूं पोसू ओ-
मोर कोरा मा धरिके तोला दूध पियाहूँ-
तोला पढ़ाहूं लिखाहूँ आगू बढाहूँ-
तोर गोड मा तोला खड़े करहुं-
बडबिहा करके तोला डोली मा बिठाहूँ – रेंगे के डहर ला घलो मै बताहूँ ओ...
Posted on: Mar 10, 2018. Tags: KANHAIYALAL PADIHARI SONG VICTIMS REGISTER
उठो उठो नोनी हो जावस नदिया हो...सुवा गीत
ग्राम-तमनार, रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडिहारी एक सुवा गीत सुना रहे हैं :
उठो उठो नोनी हो जावस नदिया हो-
जेवन करी हो ना-
नई उठों भौजी मै नई असनानो-
नई वेवन करो ना-
मोला जोगिया के देश सुहाय-
खाई डारो नोनी हो तुम्हार बापा जी के थरिया मा-
चलीहो जईहो जोगिया के देश...
Posted on: Mar 10, 2018. Tags: KANHAIYALAL PADIHARI SONG VICTIMS REGISTER
कोन दिग ले आये मोर जटाधारी जोगिया रे मोर सुवा...सुवा गीत
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ़ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडिहारी एक सुवा गीत सुना रही हैं :
कोन दिग ले आये मोर जटाधारी जोगिया रे मोर सुवा-
उत्तर दिग ले आये जटाधारी जोगिया रे सुवा ना-
पूरब दिग मा जाए ना-
जोगिया ले दैदा रो बैसी गोहडीला रे सुवा ना-
छाड दीही धरम दुवा-
बैसी गोहडीला बैनी तोर घर भरे जाए-
मै नई छाड़ो धरम दुवा...
Posted on: Mar 09, 2018. Tags: KANHAIYALAL PADIHARI SONG VICTIMS REGISTER
समाजवाद, जिसने लिया रसास्वाद, उसने हुआ आबाद बाकी सब हैं बर्बाद.... कविता
ग्राम-तमनार, जिला-रायगढ (छत्तीसगढ़) से कन्हैयालाल पडिहारी एक कविता सुना रहे हैं :
समाजवाद, जिसने लिया रसास्वाद, उसने हुआ आबाद बाकी सब हैं बर्बाद-
जातिवाद कर रहे हमें बर्बाद, उनमे नहीं किसी इसे लगाव-
हमें करा रहे हैं अलगाव, सबको दे रहे है घाव
विदेशी छोड़ रहे हैं यहां प्रभाव इसलिए नहीं किसी से लगाव-
हमें हो गया अपने घर से ही लगाव-
देश से कर बैठे अलगाव, एकता का है अभाव...