सारी दुनिया आह कर रही कृपा करो जगदीश...कविता-
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से विरेन्द्र गंधर्व राम नवमी के अवसर पर एक कविता सुना रहे हैं:
रावण के तो दस शीश थे कोरोना के हजारो शीश – सारी दुनिया आह कर रही कृपा करो जगदीश-
सस्त्रो से है नहीं सम्भव इस असुर से संग्राम-
घर बैठे सब मिलकर बोलो जय हो जय श्री राम-
सारे जग में मचा रहा है यह असुर कोहराम-
ऐसी कोई औषधि बने जो इसके लिये हो विष-
सारी दुनिया आह कर रही कृपा करो जगदीश-
रावण के तो दस शीश थे कोरोना के हजारो शीश...
Posted on: Apr 02, 2020. Tags: CG CORONA POEM RAJNANDGAON SONG VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
अम्बे जगदम्बे दुर्गे...भजन-
राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़) से वीरेन्द्र गंधर्व नवरात्री के अवसर पर एक भजन सुना रहे हैं:
अम्बे जगदम्बे दुर्गे-
मुझे सच्चा एक मनुष्य बना-
मन का कूड़ा साफ करके-
मेरे मन को अति दिव्य बना-
मेरे इन चरणों को तू पंख की ओर चला-
मेरे ईन करणों को तू ज्ञान चर्चा मुक्ति सुना...
Posted on: Mar 31, 2020. Tags: CG RAJNANDGAON SONG VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
तू तो है कोरोना सबका हत्यारा...कविता-
राजनंदगांव (छत्तीसगढ़) से वीरेंद्र गंधर्व एक कविता सुना रहे हैं:
तुझसे त्रस है विश्व सारा-
तू तो है कोरोना सबका हत्यारा-
बंद कराये विद्यालय बंद कराये दुकाने-
और क्या क्या गुल खिलायेगा न जाने-
हम सब आपस में मिलकर-
तुझे चित्त करेंगे सारे खाने-
संकल्प लिया है सर्व हारा-
तुझसे पायेंगे छुटकारा...
Posted on: Mar 29, 2020. Tags: CG POEM RAJNANDGAON SONG VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
तुझसे त्रस है विश्व सारा...कविता-
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से विरेन्द्र गंधर्व एक कविता सुना रहे हैं:
तुझसे त्रस है विश्व सारा-
तू तो है कोरोना सबका हत्यारा-
बंद कराये विद्यालय बंद कराये दुकाने-
और क्या क्या गुल खिलायेगा न जाने-
हम सब आपस में मिलकर-
तुझे चित्त करेंगे सारे खाने-
संकल्प लिया है सर्व हारा-
तुझसे पायेंगे छुटकारा...
Posted on: Mar 25, 2020. Tags: CG POEM RAJNANDGAON SONG VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
घर में भूंजी भांग नहीं सुलताना मांगे जाय...कहावत-
जिला-राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से वीरेन्द्र गंधर्व कहावत के माध्यम से संदेश दे रहे हैं,
“घर में भूंजी भांग नहीं सुलताना मांगे जाय” अर्थात घर में पैसो की तंगी है और बाहर पैसो का दुरुपयोग हो रहा है, आज के समय में कुछ ऐसा ही हो रहा है, बच्चे घर की स्थिती को समझते नहीं हैं और पैसे लेकर फिजूल खर्च करते हैं|