दो दिन की जिंदगी हस हम गुजार दें...गीत-
राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़) से विरेन्द्र गंधर्व एक गीत सुना रहे हैं:
दो दिन की जिंदगी हस हम गुजार दें-
तुम हमें प्यार दो हम तुम्हे प्यार दें-
अज्ञानता का नाश हो ज्ञान का प्रकाश हो-
काम क्रोध दंभ लोभ किसी के न पास हो-
दुखियो के आंसू ले, सुख का उपहार दे-
दो दिन की जिंदगी हस हम गुजार दें-
तुम हमें प्यार दो हम तुम्हे प्यार दें... (AR)
Posted on: Jul 23, 2020. Tags: CG RAJNANDGAON SONG VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
तब भी सावन आता था, अब भी सावन आता है...कविता-
राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़) से विरेन्द्र गंधर्व सावन पर एक कविता सुना रहे हैं:
तब भी सावन आता था-
अब भी सावन आता है-
पहले जैसा सावन नहीं है-
सावन पहले होता था मनभावन-
अब सावन मनभावन नहीं है-
कहीं तो इतना बरसा कि नदियों में बाढ़ आ गयी-
कही तो मानव बूंद बूंद को इतना तरसा कि समस्या तराह आ गयी... (AR)
Posted on: Jul 21, 2020. Tags: CG POEM RAJNANDGAON SONG VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
जोगी गाए गली-गली जय शिव भोला पार्वती...भजन गीत-
जिला-राजनंदगाँव छत्तीसगढ़ से वीरेंद्र गन्धर्व हरेली का त्यौहार किसानो का महत्वपूर्ण त्यौहार होता है हरेली यानी हरियाली तो हरी भरी धरती रहेगी हम पर्यावरण की रक्षा करेंगे तब और सावन का महिना है तो शिवजी के व्रत का महिना है उसी के सन्दर्भ में नरेंद्र चंचल का एक भजन गीत सुना रहे है :
जोगी गाए गली-गली जय शिव भोला पार्वती-
तीन लोक शिव जैसा जग रखवाला कोई नहीं-
बाँट के अमृत विष का प्याला पीने वाला कोई नहीं-
पीने वाला कोई नहीं, पीने वाला कोई नहीं-
जोगी गाए गली-गली जय शिव भोला पार्वती...
Posted on: Jul 20, 2020. Tags: BHAJAN SONG RAJNANDGAON CG SONG VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
मदद करना मानव धर्म है...कहानी-
एक समय की बात है, भगवान बुद्ध के कुछ शिष्य भ्रमण के लिये निकले थे उन्होंने देखा कि नदी में एक महिला डूब रही है और बचाव बचाव चिल्ला रही है, शिष्यों ने सोचा यदि हम इसे बचायेंगे तो गुरु के आदेश का उल्लंघन होगा क्योकि वे ब्राम्हण थे और गुरु की आज्ञा है किसी महिला को देखना ही नहीं है लेकिन उसमे से एक शिष्य ने कहा स्त्री हो या पुरुष ये मानव है और मानव धर्म का पालन करना हमारा कर्तव्य है ऐसा सोचकर उसने नदी में छलांग लगा दी और उसे बचा लिया, उसने मदद करते समय उसे एक लकड़ी का गट्ठा समझकर बाहर निकाल दिया, महिला शिष्य को धन्यवाद देकर चली गयी, बाकि शिष्यों ने ये सारी बात गुरूजी को बताई और बताया इसने एक महिला को बचाने के लिये उसे छुवा है, तब गुरु जी बोले दोषी वो नहीं तुम लोग हो, उसने तो मानव धर्म का पालन किया है, स्त्री को लकड़ी की तरह पानी से निकाल दिया और मन से भी निकाल दिया| (AR)
Posted on: Jul 18, 2020. Tags: CG RAJNANDGAON SONG STORY VICTIMS REGISTER VIRENDRA GANDHARV
मानव हो रहा है बेरहम...कविता-
जिला-राजनांदगाँव (छत्तीसगढ़) से विरेन्द्र गंधर्व कोरोना को लेकर एक कविता सुना रहे हैं:
मानव हो रहा है बेरहम-
कोरोना के नाम पर ढाय जा रहे हैं सितम-
घटनायें हो रही हैं शर्मसार-
मनुष्य से छुड़ाया जा रहा है संसार-
कोरोना के नाम पर बढ़ रही हैं नफरतें-
दूषित हो रहीं हैं हसरतें...(AR)