न वो निर्भया थी, न ये निर्भया हैं...

न वो निर्भया थी, न ये निर्भया हैं
वे सब की सब पीड़िता थीं और पीड़िता हैं
उस रात एक थी बस के अन्दर
इस बार दिन दहाड़े गन्ने के खेतों में
भयभीत माएं, बहने, भाई, बाप, सब, मौत के डर से खामोश थे
उनके सामने पीड़िता के साथ सामूहिक बलात्कार होता गया
दिन रात भतभीत पीड़िताएँ हवस का शिकार होती रहीं मरती रहीं
दिल्ली बम्बई की सड़कें जोश में उछाल लगाती हैं
यदि एक के साथ बुरा होता है
परन्तु जब जब सामूहिक सार्वजनिक तौर पर
पूरी की पूरी बस्तियों के साथ बलात्कार होता है
तब वे केवल संख्या बन जाती हैं
जैसे ड्रोन की बमबारी के बाद जले कटे मांस के अम्बार
संख्या बन जाते हैं
न उनके लिए मोमबत्तियों वाला प्रदर्शन होता है
न ही उनके हत्यारों और बलात्कारियों की सजा
चुनाव का मुद्दा बन बन पाती है
जो बच गयीं हैं वे भयभीत हैं
उनके लिए गोवा पुलिस की टोली नहीं आती है
उनके लिए तेजपाल वाली तेजी नहीं दिखाई देती है
दमन का शिकार होने वाली दामिनी कैसे हो सकती है?
मणिपुर में, गुजरात में, मुज़फ्फरनगर में...
दबी दबी सी सिसकियों में
न वो निर्भया थी, न ये निर्भया हैं
वे सब की सब पीड़िता थीं और पीड़िता हैं
सरकार चाहती है मामले रफ़ा दफ़ा हो जाएँ
कोई सड़क बना दी जाए
ताकि विकास को तरसती आँखें
पगडंडियों, खेतों, गांवो के खून के धब्बे भूल जाएँ
जोशीले युवा, उद्योगपति और धार्मिक गुरु, विकास की विशाल मूर्ती बना कर
देश में तरक्की का ढिंढोरा बजाएं

Posted on: Dec 16, 2013. Tags: Amir Rizvi

छत्तीसगढ़ की एक बेबस माँ की दास्तान

आज मुझको चाहिए इन्साफ चिल्लाती है माँ
क्या बिगाड़ा था मेरे बच्चों ने कह दो एक बार
स्कूल का थैला उठा के रोती बिखलाती है माँ
एक कुर्ता खूँ भरा और एक जली पुस्तक लिए
जो भी मिलता है उसे सबूत दिखलाती है माँ
याद आ जाते हैं क़ातिल अपने बच्चों के उसे
हर पुलिसवाले की वर्दी देख डर जाती है माँ
बिखरी जुल्फें बहते आंसू चीखती दफ्तर में है
बेशरम सरकार को पागल नज़र आती है माँ
गुरु जी थे मंत्री भी और वन्दे मातरम था लिखा
भीड़ में भक्तों की ठोकर खा के गिर जाती है माँ
बेगुनाह बच्चों को आतंकी न कहिये ऐ हुज़ूर
मर न जाए ग़म से ये बेबस नज़र आती है माँ
आज मुझको चाहिए इन्साफ चिल्लाती है माँ
आज मुझको चाहिए इन्साफ चिल्लाती है माँ

अमीर रिज़वी

Posted on: Jul 04, 2012. Tags: Amir Rizvi

Secretary says he does not talk to common citizens...Pls call him

Amir Rizvi says he heard the report by Dudhiram Jaiswal in Swara that education officer is demanding bribe to regularize his village primary school. As advised on the site I called education secretary Mr Rao at 09425207525 who got very angry first and said he does not talk to common citizens and strangers on phone. But when he realized I may be a journalist then advised Dudhiram to file a police case. Now the question is whether police will file and act on a complaint of a poor against an officer?

Posted on: May 25, 2011. Tags: Amir Rizvi

ऐसी बैसाखी आई कि मौसम बदल गया...

ऐसी बैसाखी आई, के मौसम बदल गया
इस बार नए साल में, मधुबन बदल गया
दिल्ली में दिल की बात हुई, तन मन बदल गया
एक फ़ैसला इजलास का, धड़कन बदल गया
ज़ालिम जो बेनकाब हुए, चिलमन बदल गया
बुलबुल भी चहकने लगी, गुलशन बदल गया
ग़ुन्चों ने दी बधाई मुझे, फूल से सजे
इस खुशबु-ए-इन्साफ से, चमन बदल गया
ग़ुरबत में मुस्कुराती हुई, उम्मीद की किरण
पत्तों से छन के धूप बनी, आँगन बदल गया
बापू बधाई दे रहे हैं राजघाट से
बंसी की तान आने लगी, घाट घाट से
डरते नहीं हैं रिज़वी कभी, स्याह रात से
पीने की अदा सीख ली है, सोख़रात से
ज़ुल्म-ओ-सितम भी ज़ेर हुए, एक ज़ात से
हर बात बदल जाती है, बस एक बात से
बाँटते हो क्यों माटी के लाल को
सलवा जुडूम हो के कोई नक्सलाईट हो
इतनी भी लालच ठीक नहीं, ऐ हुकुमरान
बंद कीजिये अब खूँ से बनी, ज़ुल्म की दूकान
जिनकी ज़मीं है उनको भी, फ़ायेदा पहुंचाइये
या भारत को छोड़ कर के आप, इंडिया में जाइए
आज़ाद थे हमेशा, आज़ाद ही रहेंगे
आदिवासी अब कोई, अत्याचार न सहेंगे
गोली से खून गिरता है, ये सिर्फ़ पाप है
बोली से बात बनती है, ये दिल की बात है
ऐसी बैसाखी आई, के मौसम बदल गया
एक फैसला इजलास का, धड़कन बदल गया
~ आमिर रिज़वी

इजलास = Court of Law
चिलमन = Curtain, blind
सोख़रात = Socrates
सलवा जुडूम = A vigilante of tribal people which is supported by Chhattisgarh government
नक्सलाईट = Naxalites = Maoist guerrillas

Posted on: Apr 18, 2011. Tags: Amir Rizvi

No other way to solve Naxal problem than discussions, dialogues

Amir Rizvi from Mumbai is discussing about a discussion on a TV channel NDTV where former head of paramilitary Border Security force said the fight going on in central India is a fight of adivasis to save their land and forest. He says when an activist says similar things she is put behind bars. He says there is no other way to solve Naxal problem apart from discussions and dialogues

Posted on: Mar 02, 2011. Tags: Amir Rizvi

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