ऐसी बैसाखी आई कि मौसम बदल गया...
ऐसी बैसाखी आई, के मौसम बदल गया
इस बार नए साल में, मधुबन बदल गया
दिल्ली में दिल की बात हुई, तन मन बदल गया
एक फ़ैसला इजलास का, धड़कन बदल गया
ज़ालिम जो बेनकाब हुए, चिलमन बदल गया
बुलबुल भी चहकने लगी, गुलशन बदल गया
ग़ुन्चों ने दी बधाई मुझे, फूल से सजे
इस खुशबु-ए-इन्साफ से, चमन बदल गया
ग़ुरबत में मुस्कुराती हुई, उम्मीद की किरण
पत्तों से छन के धूप बनी, आँगन बदल गया
बापू बधाई दे रहे हैं राजघाट से
बंसी की तान आने लगी, घाट घाट से
डरते नहीं हैं रिज़वी कभी, स्याह रात से
पीने की अदा सीख ली है, सोख़रात से
ज़ुल्म-ओ-सितम भी ज़ेर हुए, एक ज़ात से
हर बात बदल जाती है, बस एक बात से
बाँटते हो क्यों माटी के लाल को
सलवा जुडूम हो के कोई नक्सलाईट हो
इतनी भी लालच ठीक नहीं, ऐ हुकुमरान
बंद कीजिये अब खूँ से बनी, ज़ुल्म की दूकान
जिनकी ज़मीं है उनको भी, फ़ायेदा पहुंचाइये
या भारत को छोड़ कर के आप, इंडिया में जाइए
आज़ाद थे हमेशा, आज़ाद ही रहेंगे
आदिवासी अब कोई, अत्याचार न सहेंगे
गोली से खून गिरता है, ये सिर्फ़ पाप है
बोली से बात बनती है, ये दिल की बात है
ऐसी बैसाखी आई, के मौसम बदल गया
एक फैसला इजलास का, धड़कन बदल गया
~ आमिर रिज़वी
इजलास = Court of Law
चिलमन = Curtain, blind
सोख़रात = Socrates
सलवा जुडूम = A vigilante of tribal people which is supported by Chhattisgarh government
नक्सलाईट = Naxalites = Maoist guerrillas