जब सावित्रीबाई फुले कन्याओं को पढ़ाने जाती थीं तो कट्टरपंथी हिन्दू उन पर गंदगी फैंका करते थे...
सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिबा को महाराष्ट्र में सामाजिक सुधार आंदोलन में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव, जो बाद में में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जीया जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछात मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। वे एक कवियत्री भी थीं उन्हें मराठी की आदि कवियत्री के रूप में भी जाना जाता था। 1848 में पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की नौ छात्राओं के साथ उन्होंने एक विद्यालय की स्थापना की। एक वर्ष में सावित्रीबाई और महात्मा फुले पाँच नये विद्यालय खोलने में सफल हुए। तत्कालीन सरकार ने इन्हे सम्मानित भी किया। एक महिला प्रिंसिपल के लिये सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया, वह भी पुणे जैसे शहर में। जब सावित्रीबाई कन्याओं को पढ़ाने के लिए जाती थीं तो रास्ते में कट्टरपंथी हिन्दू उन पर गंदगी, कीचड़, गोबर, विष्ठा तक फैंका करते थे। सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं।
Posted on: Jan 04, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
बेनूर आंखों का अंधा मसीहा : लुई ब्रेल -
अपंगता हमेशा जीवन की बाधा नहीं होती, वरदान भी हो सकती है यह दुनिया के बहुत सारे लोगों ने बार-बार साबित किया है। करीब 200 साल पहले फ्रांस में ऐसे ही एक व्यक्ति हुए थे लुई ब्रेल जिन्होंने दुनिया भर के दृष्टिहीनों की दुनिया ही बदल कर रख दी, 5 साल की छोटी उम्र में एक दुर्घटना में अपनी दोनों आंखें गंवा देने वाले फ्रांस के एक मजदूर के बेटे लुई ब्रेल ने अपनी कल्पनाशक्ति, लगन और मेहनत से दुनिया को अनमोल उपहार दिया, जिस पर मनुष्यता आज भी गर्व करती है उन्होंने दुनिया की महानतम खोजों में दृष्टिहीनों के लिए ‘ब्रेल लिपि’ का आविष्कार किया, जिसने दृष्टिहीनों को पढ़ने लिखने के मौके देकर उनके अंधेरे जीवन में रोशनी भर दी। आजतक ‘ब्रेल लिपि’ ही बिना आंख के लोगों के लिए अपनी दुनिया और अपने लोगों से जुड़ने का एकमात्र ज़रिया बनी हुई है।
Posted on: Jan 04, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
सूत्रधार मरा नहीं करते...सफदर हाशमी पर कविता -
मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार शहीद रंगकर्मी सफदर हाशमी को याद करते हुए सरला माहेश्वरी की एक कविता सुना रहे हैं :
सूत्रधार मरा नहीं करते – तुम्हारे ताजा खून की कसम हम फिर वही खेल दिखायेंगे – हल्ला बोल हल्ला बोल की रणभेरी बजायेंगे – गरमायेंगे गरीबों का लहू – आग बनाकर शब्दों को तुम्हारे फहरायेंगे परचम की तरह गीतों को तुम्हारे – बस्ती-बस्ती नुक्कड़-नुक्कड़ हर चौराहे पर खेल दिखायेगा जमूरा तुम्हारा – करेगा फिर बेआबरू लोकराज का बाना पहने ढोंगी राजा को...
Posted on: Jan 02, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
मायाराम सुरजन ऐसे व्यक्ति थे जिनमें किसी से दुश्मनी, कड़वाहट या बदला लेने की भावना नहीं थी...
मायाराम सुरजन का जीवन हमेशा चुनौतियों से जूझने में बीता लेकिन उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और अपने इन्हीं मूल्यों को पोषित करने की दृढ़ता के कारण बड़ी कीमतें चुकाईं। कई बार उन्हें आर्थिक तंगी और भावनात्मक स्तर पर भी गहरी चिंता का सामना करना पड़ा था। वे ऐसे व्यक्ति के रूप में जिए, जिनमें किसी से दुश्मनी, कड़वाहट, या बदला लेने की भावना नहीं थी। पत्रकारिता जगत के मार्गदर्शक के रूप में ख्यात श्री मायाराम सुरजन सही मायनों में स्वप्नदृष्टा और कर्मनिष्ठ तथा अपने बलबूते सिद्ध एक आदर्श पुरुष थे। वे बहुपठित और जनप्रिय राजनैतिक टिप्पणीकार थे और अनेक कृतियों के लेखक भी। मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश के, अंतरंग, सबको सन्मति दे भगवान, धूप छांव के दिन आपकी प्रमुख प्रकाशित किताबे है
Posted on: Jan 02, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
रे सुगना अब मत बाग अगोर रे सुगना, सूरज उगी न रतिया जागी न उतरी अब भोर...निर्गुण गीत -
सुनील कुमार मालीघाट, मुजफ्फरपुर (बिहार) से डॉ कुमार विरल की एक रचना सुना रहे हैं :
रे सुगना अब मत बाग अगोर रे सुगना – सूरज उगी न रतिया जागी न उतरी अब भोर –
खटते खटते खून जरईले जीते जी मर गईले – खटते खटते खून जरईले हासिल न भईले तोर – छूटल माटी गांव भूलाईल शहर नगर छिछिआईल – अजगर मुँह फईलवले बाटे सपना हो गईले थोड़ – रे सुगना अब मत बाग अगोर...