सूत्रधार मरा नहीं करते...सफदर हाशमी पर कविता -
मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार शहीद रंगकर्मी सफदर हाशमी को याद करते हुए सरला माहेश्वरी की एक कविता सुना रहे हैं :
सूत्रधार मरा नहीं करते – तुम्हारे ताजा खून की कसम हम फिर वही खेल दिखायेंगे – हल्ला बोल हल्ला बोल की रणभेरी बजायेंगे – गरमायेंगे गरीबों का लहू – आग बनाकर शब्दों को तुम्हारे फहरायेंगे परचम की तरह गीतों को तुम्हारे – बस्ती-बस्ती नुक्कड़-नुक्कड़ हर चौराहे पर खेल दिखायेगा जमूरा तुम्हारा – करेगा फिर बेआबरू लोकराज का बाना पहने ढोंगी राजा को...