जिन्दगी का एक और वर्ष कम हो चला...रचना
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार नए वर्ष की बधाई देते हुए संतोना भारती की एक रचना सुना रहे हैं:
जिन्दगी का एक और वर्ष कम हो चला-
कुछ पुरानी यादें पीछे छोड़ चला-
कुछ ख्वाइशें दिल में रह जाती है-
कुछ बिन मांगे मिल जाती हैं-
कुछ छोड़ कर चले गये-
कुछ नये जुड़ेंगे इस सफर में-
कुछ मुझसे बहुत खफा हैं-
कुछ मुझसे बहुत खुश हैं-
कुछ मुझे मिल के भूल गये-
कुछ मुझे आज भी याद करते हैं-
कुछ शायद अनजान हैं-
कुछ बहुत परेशान हैं-
कुछ को मेरा इंतजार हैं-
कुछ का मुझे इंतजार है-
कुछ सही है कुछ गलत भी है-
कोई गलती तो माफ कीजिये-
कुछ अच्छा लगे तो याद कीजिये...
Posted on: Feb 10, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
गोल-गोल लाल पियर पात के ऊपर बड़ा रसदार... मुजफ्फरपुर के लीची पर गीत
सुनील कुमार मुजफ्फरपुर (बिहार) से लीची फल पर एक गीत गए रहे हैं:
गोल-गोल लाल पियर पात के ऊपर बड़ा रसदार-
मुजफ्फरपुर के लीचिया खिलहिया मोरे यार-
बैशाख जेठ में मिले गूदा के ऊपर छिलके पतले खाए ये रसदार-
मुजफ्फरपुर के...
शाही के बा आया माजा चैना नियन कोई न दूजा-
थोही के डिंड के लाहो फल रसदार-
मुजफ्फरपुर के...
Posted on: Feb 07, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
सूर्य कहां एक तारा टूटा, क्या जाने वह किसने लूटा...कविता
ग्रामसभा, मोहल्लासभा, अभियानसभा, सांस्कृतिक मंच, मुजफ्फरपुर (बिहार) से रौशनी कुमारी एक कविता सुना रही हैं :
सूर्य कहां एक तारा टूटा, क्या जाने वह किसने लूटा – छत पे कहीं नही था भाई, नही सड़क पे दिया दिखाई – कास अगर मिल जाता तो आलमारी उसे सजाता – सुबह साम मै देख करता जगमग जगमग करता रहता...
Posted on: Feb 07, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
राम नहीं बस रोटी दो...कविता
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार ओमकार रघुवंशी की एक रचना सुना रहे है :
राम नहीं बस रोटी दो-
रोटी और लंगोटी दो-
श्रीराम की ओट चाहिये-
तुम्हें दलाली-नोट चाहिये-
जैसे भी हो वोट चाहिये-
नाक कटे या छोटी हो-
लुट खसोट आराम चाहिये-
शानो शौकत नाम चाहिये-
चोरी बस,नाकाम चाहिये-
जग में चाहे खोटी हो...
Posted on: Feb 05, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
भला नहीं करते वे जग का, जो रहते हैं मौन...रचना
सुनील कुमार मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से महेश ठाकुर चकोर की एक रचना सुना रहे हैं:
भला नहीं करते वे जग का, जो रहते हैं मौन-
आगे बढ़कर पता लगाओ,लूट रहा है कौन-
लुटेरे न धर्म जानते, और जात न भाई-
बेटी के दौलत की खातिर, होते बड़े कसाई-
होते बड़े कसाई, होते बड़े कसाई-
भला नहीं करते वे जग का,जो रहते हैं मौन-
आगे बढ़कर पता लगाओ, लूट रहा है कौन...