सूर्य कहां एक तारा टूटा, क्या जाने वह किसने लूटा...कविता
ग्रामसभा, मोहल्लासभा, अभियानसभा, सांस्कृतिक मंच, मुजफ्फरपुर (बिहार) से रौशनी कुमारी एक कविता सुना रही हैं :
सूर्य कहां एक तारा टूटा, क्या जाने वह किसने लूटा – छत पे कहीं नही था भाई, नही सड़क पे दिया दिखाई – कास अगर मिल जाता तो आलमारी उसे सजाता – सुबह साम मै देख करता जगमग जगमग करता रहता...