राम नहीं बस रोटी दो...कविता
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार ओमकार रघुवंशी की एक रचना सुना रहे है :
राम नहीं बस रोटी दो-
रोटी और लंगोटी दो-
श्रीराम की ओट चाहिये-
तुम्हें दलाली-नोट चाहिये-
जैसे भी हो वोट चाहिये-
नाक कटे या छोटी हो-
लुट खसोट आराम चाहिये-
शानो शौकत नाम चाहिये-
चोरी बस,नाकाम चाहिये-
जग में चाहे खोटी हो...