अफरादक अरपज जखन बना देची...जनवादी गीत-
मालीघाट, मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार मिथला में एक जनवादी गीत सुना रहे हैं :
अफरादक अरपज जखन बना देची-
मोती में जिनगी हम अपन चारा नैची-
कठिन इहा छे कोनो घर से पज्जा दा-
अंगना में आंगन हम दीप जरा लैची-
मुसकिल ये हमारा लै महा जे परिंदा छै...
Posted on: Aug 13, 2019. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SONGS SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
आपन देशवा के लोगवा के जगावे के परी...जागरूकता गीत-
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार एक जागरूकता गीत सुना रहे हैं:
जगावे के परी ओ जगावे के परी-
आपन देशवा के लोगवा के जगावे के परी-
बगावे के परी ओ बगावे के परी-
आपन देशवा से शराब के बगावे के परी-
भईया हो मत उदास करा जिंदगी के आश-
आपन रोगवा के जांच करावे के परी...
Posted on: Aug 06, 2019. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
होली पर्व का एक किस्सा...
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार बता रहे है कि अकबर हुमायु, जहाँगीर, शाहजहाँ, बहादुर शाह, जफर होली आने के पहले से ही रंग उत्सव की तैयारी शुरू कर देते थे | अकबर के महल में सोने और चंडी के बड़े-बड़े बर्तन में केवे और केसर युक्त रंग घोला जाता था| राजा अपनी बेगम और सुन्दरियों के साथ होली खेलते थे| शाम को महल में ठंडाई और मिठाई पानी इलाइची से मेहमानों का सिखबाल होता था | मुसायरे, कव्वालियो नृत्य गानों की महफ़िल जमती थी| इतिहास में जिक्र है कि जहाँगीर के समय में भी महफ़िल एक होली का भी भव्य कार्यक्रम होता था| साधारण नागरिक भी बादशाह पर रंग डालते थे शाहजहाँ तो होली को ईद गुलाबी के रूप मनाये करते थे|
Posted on: Aug 05, 2019. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG STORY SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
कहिया के दुश्मन तोरा बनी रे पपिहरा ...गीत
ग्राम-मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार महेश ठाकुर चकोर की रचना सुना रहे हैं :
कहिया के दुश्मन तोरा बनी रे पपिहरा-
पिऊ पिऊ रति तोरा पवा तारा जियरा – पिया परदेश बेसे भजी नाह पतिया – चिरहा कपनवा से घवा हील कतिया – घऊवा के बोगी बोगी करता रे गहरा
कहिया के दुख मा तोरा पानी रे पपिहरा...
Posted on: Aug 04, 2019. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
जब गुस्सा में छलके दुलार प्रभु जिया...गीत-
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार गीत सुना रहे हैं :
जब गुस्सा में छलके दुलार प्रभु जिया-
भुजिया के प्यार हो गईल-
जब प्यार से जे देबे धुतकार-
चाहे गेहरा याद नहीं आवे चाहे के-
मिले लाप मन नहीं भावे – पाके देखला पे झरे ह सिंगार – मन मन देखे ला बेचैन हो गे लागब-
सपना में पर अक्बारी दारीलागब – मन हरियर हो जाई कचनार...