झारखंड धरे दुरा सुने कमल फूले...गीत-

मालीघाटी प्रसार केंद्र सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान एवं लोककला प्रशिक्षण केंद्र से सुनिल कुमार शांति शिवशंकर आजाद की रचना सुना रहे हैं:
झारखंड धरे दुरा सुने कमल फूले-
मधुमक्खी उरे जेकर सेती सुंदर लागे मांदर बाजे-
झारखण्ड धरे दुरा सुने कमल फूले-
मगर काकर महिना में अम्बा बिन लागे-
कोयल करे कुहू कुहू जेकर बोली सुंदर लागे-
झारखण्ड धरे दुरा सुने कमल फूले-
आगे ले फागुन माह टेसू फूले-
अमनी के मन मोर नाचे गाए,कि मांदर बाजे-
झारखण्ड धरे दुरा सुने कमल फूले...

Posted on: Jan 23, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

भईया गांधी जी का सपना सजाना...गीत-

मालीघात, मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार एक गीत सुना रहे हैं :
भईया गांधी जी का सपना सजाना-
हाय राम देशवा को है बचाना-
जो बोले थे लाना सत्य और अहिंसा-
मगर दुष्टो ने ले आया हिंसा-
मिल जुल के है हिंसा मिटाना-
हाय राम देशवा को है बचाना-
भईया गांधी जी का सपना सजाना...

Posted on: Jan 23, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

गुरु शंकराचार्य शास्त्रार्ध में कैसे हारे...

भारती के पति मंडन मिश्र मिथिलांचल में कोसी नदी के किनारे स्थित एक गांव महिषि में रहते थे। तब धर्म-दर्शन के क्षेत्र में शंकराचार्य की ख्याति दूर-दूर तक थी। कहा जाता है कि उस वक्त ऐसा कोई ज्ञानी नहीं था, जो शंकराचार्य से धर्म और दर्शन पर शास्त्रार्थ कर सके। शंकराचार्य देशभर के साधु-संतों और विद्वानों से शास्त्रार्थ करते मंडन मिश्र के गांव तक पहुंचे थे। यहां 42 दिनों तक लगातार हुए शास्त्रार्थ में शंकराचार्य ने हालांकि मंडन को पराजित कर तो दिया, पर उनकी पत्नी के एक सवाल का जवाब नहीं दे पाए और अपनी हार मान ली थी. शास्त्रार्थ की निर्णायक थीं भारती
मंडन मिश्र गृहस्थ आश्रम में रहने वाले विद्वान थे। उनकी पत्नी भी विदुषी थीं। इस दंपती के घर पहुंचकर शंकराचार्य ने मंडन मिश्र से शास्त्रार्थ करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने शर्त रखी कि जो हारेगा, वह जीतने वाले का शिष्य बन जाएगा। अब सवाल खड़ा हुआ कि दो विद्वानों के बीच शास्त्रार्थ में हार-जीत का फैसला कौन करेगा। शंकराचार्य को पता था कि मंडन मिश्र की पत्नी भारती विद्वान हैं। उन्होंने उन्हें ही निर्णायक की 21 दिनों में हार गए मंडन, फिर पत्नी ने दी शास्त्रार्थ की चुनौती
शंकराचार्य के कहे अनुसार भारती दोनों के बीच होने वाले शास्त्रार्थ का निर्णायक बन गईं। मंडन और शंकराचार्य के बीच 21 दिनों तक शास्त्रार्थ होता रहा। आखिर में शंकराचार्य के एक सवाल का जवाब नहीं दे पाए और उन्हें हारना पड़ा।

Posted on: Jan 22, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG STORY SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

माउन्टेन मैन दशरथ माझी...

माउन्टेन मैन दशरथ माझी का जन्म 14 जनवरी 1929 गहलौर, बिहार, भारत में हुआ वे बचपन में ही घर से भागकर धनबाद चले गये थे खदान में काम किया, वापस आने के बाद फालगुनी देवी से विवाह किया| गाँव से दूसरे गाँव गाने के लिये गहलोत पहाड़ पार कर जाना पड़ता था या चक्कर लगाकर जाना पड़ता था, उनकी पत्नी खाना ले जाते हुये पहाड़ी दर्रे से गिर गयी जिससे उनका निधन हो गया, पत्नी के गम से दुखी दशरथ माझी अपनी ताकत बटोरकर पहाड़ पर वार करने लगे, बोले जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं, 1960 में पहाड़ तोड़ना शुरू किया और 1983 में उसे पूरा किया, 22 साल लगे, 17 अगस्त 2007 को नयी दिल्ली, में हुआ, उनकी मृत्यु पित्ताशय कैंसर के कारण हुआ, जिसके बाद राष्ट्रिय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया, उनके इस कार्य से कई पीढियां प्रेरित होती रहेगी|

Posted on: Jan 21, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG STORY SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

आधुनिकता के दौर में बचपन खो गया है...कहानी-

आधुनिकता के दौर में बचपन खो गया है, हमारे चारो ओर हम ऊँ बच्चो को देख रहे हैं, जिनके पास आनंद नहीं है जिन्हें कोई अधिकार नहीं दिया गया है, जिन्हें स्वतंत्रता की अनुमति नहीं है कि बच्चा होना आखिर होता क्या है, बच्चो को तेजी से पढने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा हैं, इसे किया जा रहा है जैसे वे उनकी बोझिल अवस्था है, इसे जीतनी जल्दी हो दूर कर दो|

Posted on: Jan 19, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG STORY SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

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