वनांचल स्वर: हम लोगो का जंगल से ही घर चलता है...
ग्राम- हाटकर्रा, ब्लॉक-भानुप्रतापपुर, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से कुंवर सिंह पुजारी जंगल का इतिहास बता रहे हैं जंगल से उन्हें काफी संपदा मिलती है। जैसे – महुआ, आम, नदी, साल बीज, फल-फूल। सब लोग अच्छे से रहते हैं और मडई- मेला करते रहते हैं। कुंवर जी ने बताया कि सरकार समितियां बनाकर उनको समुदाय के लोगों से फल-फूल खरीद लेती है।
Posted on: Mar 11, 2021. Tags: CG KANKER KUNWAR SINGH VANANCHAL SWARA
वनांचल स्वर: सभी जातियों के मिलकर रहने से एक गांव बनता है...
ग्राम-धनेलीकन्हार, तहसील- कोरर, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से समधार नरेटी (ग्राम पटेल) बताते हैं कि जंगल से उनका अटूट रिश्ता है। उनके समुदाय के तीज त्यौहारों एवं रहन-सहन का जंगल से अलग ही जुड़ाव है। इसी कारण आदिवासी लोग कहते हैं कि जंगल ही हमारा जीवन है। उनके गांव में अनेक जाति के लोग रहते हैं। वह बताते हैं कि सब जाती के लोग मिलकर ही एक गांव है। उनके मुताबिक सभी जातियों के मिलके रहने से ही एक गांव बनता है।
Posted on: Mar 11, 2021. Tags: CG KANKER SAMDHAR NARETI VANANCHAL SWARA
वनांचल स्वर : गाँव के लोगो के लिये बांस का महत्व-
ग्राम-बाँगाचार, ब्लॉक-दुर्गुकोंदल, जिला-उत्तर बस्तर कांकेर (छत्तीसगढ़) से भारत भंडारी बता रहे हैं, उनके इलाके में बांस के पेड़ बहुत पाये जाते हैं, वहां के निवासी बांस का उपयोग टोकरी, सूपा आदि चीजे बनाने में करते हैं, बांस से घर के छप्पर बनाये जाते हैं| बांस घास प्रजाति का पौधा है। मछली पड़ने के लिये भी इसका उपयोग होता है| वर्षा के दिनों में उगने वाले नर्म बांस को सब्जी के लिये उपयोग किया जाता है| इस प्रकार से बांस का ग्रामीण जीवन में विशेष महत्व है|
Posted on: Mar 09, 2021. Tags: BHARAT BHANDARI CG KANKER VANANCHAL SWARA
वनांचल स्वर: जंगल में हर्रा, बहेड़ा, चिरोंजी, बांस, साल, इत्यादि पेड़ पाए जाते हैं...
ग्राम-हाटकर्रा, ब्लॉक-भानुप्रतापपुर, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से भोलाराम पटेल बताते हैं कि उनके गाँव से 3 किलोमीटर दूर 6 किलोमीटर की घाटी है। वहां एक मंदिर भी है जहां लोग दर्शन के लिए आते हैं। इस घाटी के अंत में तरांदुल गाँव है। रायपुर, भिलाई तक के लोग यहाँ घूमने आते हैं। घाटी के आस पास के जंगल क्षेत्र से आदिवासी समाज को लाभ है। जंगल में हर्रा, बहेड़ा, चिरोंजी, बांस, साल, इत्यादि पेड़ पाए जाते हैं। सम्पर्क@7722929429.
Posted on: Mar 09, 2021. Tags: BHOLA RAM CG KANKER VANANCHAL SWARA
वनांचल स्वर: वनों और जीव जंतुओ के संरक्षण के लिये प्रयास होना चाहिये...
ग्राम-दमकसा, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से निवासी शेरसिंह आँचला बता रहे हैं कि कोयलीबेड़ा गाँव पखांजुर तहसील के अंतर्गत आता है| गाँव के पास से मेढ़की नदी गुजरती है| उसी के पास घोड़ा बेड़ा गाँव है जहाँ पर सागौन के पेड़ पाये जाते हैं| घोड़ा बेड़ा के आगे भामराकोट पहाड़ी है जहाँ पर कुरसेल जल प्रपात है जो एक सुंदर जगह है| वहां पर कई तरह के जानवर पशु, पक्षी पाये जाते थे लेकिन अब वनों की कटाई और उत्खनन आदि के कारण ये सब ख़त्म होते जा रहे हैं इसलिये इनके संरक्षण के लिये प्रयास होना चाहिये |