चले आओ, चले आओ, चले आओ...ग़जल-
जबलपुर (मध्यप्रदेश) से शकील एक गज़ल सुना रहे हैं:
चले आओ, चले आओ, चले आओ-
कोई वादा नहीं फिर भी निगाहें राह तकती है-
तुम्हारा वो हँसी चेहरा ये कैसे भूल सकती है-
तुम्हारी एक झलक देखी मगर बेताब हैं ऐसे-
बड़ी प्यारी हमारी चीज कोई खो गई जैसे-
चले आओ, चले आओ, चले आओ...