वनांचल स्वर : गांव की परंपरा के अनुसार बांस जीवन से अंत तक किसी रूप में हमारे सांथ रहता है-
ग्राम-आरंडी, कुरखेरा, जिला-गढ़चिरोली (महाराष्ट्र) के निवासी इजमसाय कटंगे बता रहे हैं, उनके इलाके में कई प्रकार के बांस पाए जाते हैं जिसमे मानवाल प्रजाति का बांस अधिक पाया जाता है जिसको यहाँ के निवासी सबसे ज्यादा उपयोग में लाते हैं, यहाँ की परम्परा के अनुसार बांस या बाम्बू एक साथी की तरह होता है जो जन्म से मृत्यु तक अगल-अलग रूप में आदिवासी मनुष्य के साथ रहता है जैसे जन्म के समय उससे नाड काटते हैं, थोडा बड़ा होने पर झूला के रूप में, शादी में पारी के रूप में, बुढ़ापे में सहारे के रूप में और अंतिम अवस्था अर्थात मरने पर श्मशान भूमि पहुंचाने तक साथ रहता है, इस तरह से बांस या बाम्बू का आदिवासी जीवन से मृत्यु तक साथ रहता है...