पगली के भइल बाट पागल के दसा आज हमरा पता चलल के ले के भगा...
रौशन कुमार नालंदा बिहार से एक प्रेम गीत सुना रहे है:-
पगली के भइल बाट पागल के दसा
आज हमरा पता चलल के ले के भगा
रोते रोते मिलल आहली बाड़ी
हमार जान आज हरदी से लेटइल बाड़ी
हथवा के मेहंदी छोड़वेली ये हमरे के समझावेली...
Posted on: Aug 15, 2022. Tags: BHOJPURI PREMSONG
आमाझरन झरना की कहानी...
ग्राम-मुदे, थाना-कोरर, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से प्रेमलाल करतबिया अपने गांव कि पहाड़ी के बारे में बता रहे हैं, आमाझरन एक जगह है, यहां प्रकृतिक रूप से पानी बहता है और बड़े-बड़े आम फलते हैं| यहाँ बारह महीना पानी बहता रहता है| पहाड़ के निचे छुही का खदान है, जिससे घरों में पुताई होती है| इस मिट्टी को लेने दूर-दूर से लोग आतें हैं| पीले रंग की मिट्टी निकलती है| पहाड़ के ऊपर एक बहुत बड़ा मैदान है, गांव भी छोटा पड़ेगा इतना बड़ा मैदान है| इस मैदान में मनिहारी का पेड़ है जिससे फल और शुद्ध हवा मिलती है| आने जाने का रास्ता भी नहीं है, बहुत दिक्कत होती है| हरियाली और पोला के त्यौहार में गाँव के लोग वहाँ घुमने जाते हैं| सम्पर्क:- 6264476828(RM)
Posted on: Feb 28, 2021. Tags: CULTURAL STORY KANKER CG PREMLAL KRATBIYA
वनांचल स्वर: जंगल से मिलता है स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन...
ग्राम-धनेली कन्हार, तहसील-भानुप्रतापपुर, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से प्रेमलाल कोमरा बताते हैं कि इमली के बीज को आग में भूंजकर उसमें महुआ के फूल को डालकर पकाते हैं| तैयार हो जाने पर खाते हैं और बाज़ार ले जाकर बेच देते हैं| सरई के फूल को भी इमली के बीज की तरह भूंजकर उसमें महुआ के फूल को डाला जाता है, इसे मैंने भी खाया है| कांदा जो जंगल में पाया जाता है, इसे घर में नहीं रखा जाता है| कांदा स्वाद में बहुत कड़वा होता है, इसे भी पकाया जाता है, कांदा को अभी भी खाया जाता है| प्रेमलाल महुआ के लड्डू के भी बारे में बताते हैं, महुए के लड्डू बनाने के लिए महुए को सिलबट्टे या मिक्सी से पीसकर बनाया जाता है| ये सभी स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं जैसे इमली भूने हुए बीजों को खाने से पेट साफ़ होता है|(RM)
Posted on: Feb 27, 2021. Tags: CG KANKER PREMLAL KOMRA VANANCHAL SWARA
वनांचल स्वर : वनों को बचाने में वन समितियों का योगदान...
ग्राम-धनेली कनार, तहसील-भानुप्रतापपुर, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से प्रेमलाल कोमरा वन सरंक्षण समिति के बारे में बता रहे हैं| वनों में स्थित पेड़ों की कटाई पर नज़र रखते हैं| जो लोग पेड़ों को काटते हैं हम उन लोगों पर जुर्माना लगाते हैं| हमारे गाँव में वृक्षारोपण कर्मचारी आए थे और वृक्षारोपण करके गये थे, हम लोग उन पौधों की देखभाल करते हैं| हमारी समिति का काम जंगल में लगने वाली आग को भी फैलने से रोकना है| इस कार्य में हमारी सबसे बड़ी मदद मोबाइल करता है जिस पर हम सभी जुड़े हैं| आग को रोकने क लिए समिति परम्परांगत तरीकों का इस्तेमाल करती है| समिति वृक्षारोपण भी करती है जिसमे भेलवा, बांस, खम्हार और भी कई तरह् के वृक्ष लगाती है| (RM)
Posted on: Feb 20, 2021. Tags: CG KANKER PREMLAL KOMRA VANANCHAL SWARA
वनांचल स्वर: जंगल देते स्वाद और स्वास्थय साथ साथ...
ग्राम-धनेली कनार, तहसील-भानुप्रतापपुर, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) प्रेमलाल कोमरा बताते हैं कि इमली के बीज को आग में भूंजकर उसमें महुए के फूल को डालकर पकाते हैं| तैयार हो जाने पर खाते हैं और बाज़ार ले जाकर बेच देते हैं| सरई के फूल को भी इमली के बीज की तरह भूंजकर उसमें महुइ के फूल को डाला जाता है, इसे मैंने भी खाया है| कांदा जो जंगल में पाया जाता है, इसे घर में नहीं रखा जाता है| कांदा स्वाद में बहुत कड़वा होता है, इसे भी पकाया जाता है, कांदा को अभी भी खाया जाता है| प्रेम लाल महुए के लड्डू के भी बारे में बताते हैं, महुए को सिलबट्टे या मिक्सी से पीसकर बनाया जाता है| ये सभी स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं जैसे इमली भूने हुए बीजों को खाने से पेट का मल साफ़ होता है|(RM)