Impact : हमारे गांव में बिजली की समस्या थी, संदेश रिकॉर्ड करने के बाद समस्या हल हो गई-
ग्राम पंचायत-कांदावानी, तहसील-पंडरिया, जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़) से मोहनलाल बता रहे हैं| उनके गांव में 3 महीने से बिजली की समस्या थी| उन्होंने अपनी समस्या को सीजीनेट के रिकॉर्ड कराया था| उसके बाद बिजली की समस्या हल हो गयी| इसलिये वे सीजीनेट के साथियों और संबंधित अधिकारियों को धन्यवाद दे रहे हैं : संपर्क नंबर@8964973228.
Posted on: May 10, 2019. Tags: CG ELECTRICITY IMPACT STORY MOHANLAL SONG VICTIMS REGISTER
हमारे मोहल्ले में हैण्डपम्प नहीं, हम लोग कुएं का पानी पीकर बीमार पड़ रहे ( गोंडी भाषा में)...
ग्राम-सुरेवाही, पंचायत-सुरेवाही, तहसील-अंतागढ़, जिला-कांकेर (छत्तीसगढ़) से मोहनलाल गोंडी भाषा में बता रहे है कि उनके मोहल्ले में एक भी हैण्डपम्प नहीं है| उनके मोहल्ले में 10-12 घरों की बस्ती है वे लोग कुएं का पानी लाकर पीते है उसको पीने से सर्दी खांसी होती है और बच्चे बीमार पड़ जाते है | उनके मोहल्ले में हैण्डपम्प खुदवाने के लिए उन्होंने कई बार पंचायत में आवेदन दिया है लेकिन कोई ध्यान नहीं देते है| इसलिए वे सीजीनेट सुनने वाले साथियों से मदद की मांग कर रहे है कि इन नम्बरों में बात कर हैण्डपम्प लगवाने में मदद करें: C.E.O@9953924884. अधिक जानकारी के लिए संपर्क@9406375102.
Posted on: Jul 16, 2018. Tags: KANKER CG MOHANLAL WATER
हमारे मोहल्ले में एक भी हैण्डपम्प नहीं, हम एक किलोमीटर दूर कुएं से पानी लाकर पीते हैं...
ग्राम पंचायत-पंडरी, ब्लॉक-वाड्रफनगर, जिला-बलरामपुर (छत्तीसगढ़) से मोहनलाल मरावी बता रहे है कि वार्ड क्रमांक 12 में 25 घर की बस्ती है और एक भी हैण्डपम्प नहीं है और वे लोग 1 किलोमीटर दूर कुएं से पानी लाकर पीते है | हैण्डपम्प खुदवाने के लिए उन्होंने सरपंच सचिव के पास शिकायत किये थे तो हो जायेगा-हो जायेगा बोलते है लेकिन अभी तक नहीं हुआ है| उनका कहना हैण्डपम्प खुद जाता तो हम लोगो को पानी की सुविधा हो जाती | इसलिए साथी सीजीनेट के साथियों से मदद की मांग कर रहे है कि इन नम्बरों में बात करके हैण्डपम्प खुदवाने में मदद करें: P.H.E.विभाग@9826603461. संपर्क@9679189891.
Posted on: Jun 04, 2018. Tags: MOHANLAL MARAVI SONG VICTIMS REGISTER
भौंरा और गोबर कीड़ा की कहानी...
ग्राम पहाड़ कोरवा, जिला-सूरजपुर (छत्तीसगढ़) से मोहनलाल यादव एक कहानी सुना रहें है :
भौंरा और कीड़ा (गोबर) मित्र थे उन दोनों ने एक साथ जगत घूमने का फैसला लिया कीड़ा (गोबर) सबसे पहले गोबर कन्डो में ले गया पूरे दिन घूमने के पश्चात् जब भौंरे को भूख लगी तब दोनों राजा जी के बगिया में फूल का रस चूसने के लिए गए तभी कीड़ा (गोबर) भौरा के देखा-देखी फूलों को चूसने लगा और कमल फूल में जा बैठा। शाम का समय था तो कमल सिकुड़ गया और कीड़ा वहीं अन्दर फंस गया. सुबह राजा ने अपने माली को कहा जाओ फूल तोड़ लाओ हमे शिव मंदिर जाना है तब माली वही फूल ले आता है जिसमे कीड़ा रहता है फिर राजा पूजा आर्चना कर फूल चढ़ाते है जिसके पश्चात पुजारी अवशेष को गंगा में छोड़ आते है जिससे कीड़ा (गोबर) गंगा स्नान से तर जाता है...