कोलिहा रैथे खेत खार मा, पानी मा कछुआ रैथे जी...छत्तीसगढ़ी कविता
आश्रित-भरभंवर, पंचायत-सरेखा, जिला-कबीरधाम (छत्तीसगढ़) से लक्ष्मण श्रीवास के साथ याशमी और आलिया एक छत्तीसगढ़ी कविता सुना रहे हैं:
बिलाहा म मुसवा रैथे जी-
कोलिहा रैथे खेत खार मा, पानी मा कछुआ रैथे जी-
चाटी, मेंगरा झिया मा रैथे, मछली तरैया पानी मा-
मेंजका का रैथे दुनो जगा मा, कोठा मा गरुआ रैथे जी-
कुकुर हा रोते खोर गली मा, मिट्ठू रुख-राई मा जी-
केकरा रैथे बिला मा जी...