पारंपरिक जैविक खेती के बारे में जानकारी दे रहे है, जिला (छत्तीसगढ़) से....
ग्राम-केकराखोली, ब्लाक-मगरलोड, जिला धमतरी (छत्तीसगढ़) से मोहन यादव उनके साथ है ग्राम-घोटियादादर ने निवासी नक्क्षेना राम कश्यप बता रहा है आज भी हम लोग ज्यों-ज्यों विकास की ओर अग्रसर हो रहे हैं, वैसे-वैसे हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को पीछे छोड़ते जा रहे हैं परन्तु अपने जीवनकाल में अपनी खेत में रासायनिक खाद्य का प्रयोग नही करते है, जैविक खाद्य घरेलु निर्मित खाद्य तैयार कर प्रयोग किया जाता है जिनका नाम है “हंडी खाद्य” जिसे घर में ही निर्माण किया जाता है. इस खाद्य को 1 एकड़ के लिए तैयार करने के लिए.
1बड़ा सा मटका या फिर ड्रम ले. और 10 किलो. गोबर, 10 किलो. मूत्र, 1 किलो. 1 बेसन किलो. इन सब घोल बनाये और उसे लगातार डंडे के सहायता से घुमाते रहे 5-7 दिनों तक रखें उसके बाद खेत में छिड़काव करे. जिसे जमीन की नमी बनी रहती है और बराबर मात्रा में उपजाऊ बना रहता है.इस सन्देश के माध्यम से बताया पारंपरिक जैविक खेती के शुरू करे.
Posted on: Nov 03, 2019. Tags: DHAMTARI CG MOHAN YADAV SONG VICTIMS REGISTER
सरस्वती वंदना : हे शारदे माँ, हे शारदे माँ...
ग्राम-केकराकोली, ब्लाक-मगरलोड, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़) से मोहन यादव और उनके साथ भूमिका और कोमिन कुंजाम सरस्वती वंदना सुना गीत सुना रही है:
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ-
आज्ञानता से, हमे तार दे माँ-
है संगीत तुझ से, हर शब्द तेरा-
हर गीत मुझ से, हे हे शारदे माँ-
मुनियों ने समझी, गुनियों ने जानी-
वेदों की भाषा, पुराणों की वाणी-
हम भी तो समझे, हम भी तो जाने-
तू श्वेतवर्णी, कमल पर विराज-
हाथों में वीणा, मुकुट सर पे साजे-
मनसे हमारे मिटाके अँधेरे-
हमको उजालों का संसार दे माँ-
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ-
अज्ञानता से हमें तारदे माँ-
Posted on: Nov 03, 2019. Tags: DHAMTARI CG MOHAN YADAV SONG VICTIMS REGISTER
संस्कृति सरक्षण जिला स्तरीय तीन दिवसीय कार्यक्रम ग्राम-केकरा खोली जिला-धमतरी छत्तीसगढ़....
ग्राम-केकरा खोली, पंचायत-केकरा खोली, ब्लाक-मगरलोड, जिला-धमतरी (छत्तीसगढ़) से मोहन यादव जी और उनके साथ भोखऊ राम कुंजाम बता रहा है, संस्कृति सरक्षण जिला स्तरीय तीन दिवसीय कार्यक्रम में सबसे पहले बूम गोटूल पूजा किया जाएगा जिसकें पश्चात कार्यक्रम के माध्यम से मूल उद्देश्यों को बारी-बारी से उल्लेख किया जायेगा. इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य है आज के युग में देखा जाए तो अपनी ही संस्कृति को लोग भूल रहे है जो इस समय विलुप्त के कगार पर है जिसे मन जा रहा है इस कार्यक्रम के माध्यम से अपनी संस्कृति को कैसे संजोया जा सके इस पर विचार विमर्श किया है, इस कार्यक्रम में पुरे भारत के जाने माने सहिताकार, बुध्धिजीवी, चिन्तक कर हेतु अलग अलग प्रान्त से लोग समीक्षा के लिए सामिल होंगे.