पारंपरिक जैविक खेती के बारे में जानकारी दे रहे है, जिला (छत्तीसगढ़) से....
ग्राम-केकराखोली, ब्लाक-मगरलोड, जिला धमतरी (छत्तीसगढ़) से मोहन यादव उनके साथ है ग्राम-घोटियादादर ने निवासी नक्क्षेना राम कश्यप बता रहा है आज भी हम लोग ज्यों-ज्यों विकास की ओर अग्रसर हो रहे हैं, वैसे-वैसे हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को पीछे छोड़ते जा रहे हैं परन्तु अपने जीवनकाल में अपनी खेत में रासायनिक खाद्य का प्रयोग नही करते है, जैविक खाद्य घरेलु निर्मित खाद्य तैयार कर प्रयोग किया जाता है जिनका नाम है “हंडी खाद्य” जिसे घर में ही निर्माण किया जाता है. इस खाद्य को 1 एकड़ के लिए तैयार करने के लिए.
1बड़ा सा मटका या फिर ड्रम ले. और 10 किलो. गोबर, 10 किलो. मूत्र, 1 किलो. 1 बेसन किलो. इन सब घोल बनाये और उसे लगातार डंडे के सहायता से घुमाते रहे 5-7 दिनों तक रखें उसके बाद खेत में छिड़काव करे. जिसे जमीन की नमी बनी रहती है और बराबर मात्रा में उपजाऊ बना रहता है.इस सन्देश के माध्यम से बताया पारंपरिक जैविक खेती के शुरू करे.