हिन्दी को बनवास दे अंग्रेजी को राज...गीत-
ग्राम-नवलपुर, ब्लाक-लोरमी, जिला-मुंगेली (छत्तीसगढ़) से अनुराधा बुनकर एक कविता सुना रही हैं:
हिन्दी को बनवास दे अंग्रेजी को राज-
हमने 70 सालो में कैसा गढ़ा समाज-
हिन्दी हिंदुस्तान में हुई सेविका आज-
पटरानी बनकर यहाँ इंग्लिश कराती है राज-
हिन्दी में है चेतना, हिन्दी में है प्राण-
हिन्दी में है देश का स्वभिमान सम्मान... (AR)
Posted on: Jul 10, 2020. Tags: ANURADHA BUNKAR CG MUNGELI POEM SONG VICTIMS REGISTER
मुश्किल बड़ी घड़ी है सैयम बनाये रखना है...कोरोना पर संदेश-
ग्राम-नवलपुर, जिला-मुंगेली (छत्तीसगढ़) से अनुराधा बुनकर कोरोना पर संदेश दे रही हैं:
दुनिया भर में वैश्विक महामारी बनकर फैली कोरोना वायरस का प्रकोप दिनो दिन बढ़ता जा रहा है, देश में लॉकडाउन लगा है, मरीजो को संख्या बढ़ती जा रही है, इससे बचाव के लिये घरो में ही रहना है|
मुश्किल बड़ी घड़ी है सैयम बनाये रखना है-
एक फासला बनाकर-
खुद को बचाये रखना है... (AR)
Posted on: Jul 04, 2020. Tags: ANURADHA BUNKAR CG CORONA MESSAGE MUNGELI SONG VICTIMS REGISTER
छा गयी मायूसी हर गलियाँ हर चौबारे पर...नशा मुक्ति कविता-
ग्राम-नवलपुर, ब्लाक-लोरमी, जिला-मुंगेली (छत्तीसगढ़) से अनुराधा बुनकर एक नशा मुक्ति कविता सुना रही हैं:
छा गयी मायूसी हर गलियाँ हर चौबारे पर-
लोगो ने अपने हालत बदल डाले-
नशे की पड़ी एसी आदत इनको-
जीने के अपने अंदाज बदल डाले-
दे रहा है भारत अपनी तरक्की की मिशले-
युवा कर कर नशे का व्यापार-
लुप्त हो संस्कृति हमारी, जिसका था हमें गुमान... (AR)
Posted on: Jun 26, 2020. Tags: ANURADHA BUNKAR CG MUNGELI POEM SONG VICTIMS REGISTER
मोर पंडित जवाहर के सोना बेटी...देशभक्ति गीत
ग्राम-कनपठार, तहसील-पुष्पराजगढ़, जिला-अनूपपुर (मध्यप्रदेश) से अनुराधा आर्मो एक देश भक्ति गीत सुना रही हैं :
मोर पंडित जवाहर के सोना बेटी-
मिट्टी मा मिल गए न या धुवा मा उड़ गए न-
कमला जी की कलि सी बेटी नेहरु जी की खिलौना-
बारह वर्ष के उम्र मा बेटी सब जनता ला बनाये-
सन चौरयासी मा गोली लगिसे दिन रैईसे बुधवार...
Posted on: Oct 04, 2017. Tags: ANURADHA ARMO SONG VICTIMS REGISTER
धुर्रा माटी ला घलो कभी न समझय मीत...बाल गीत
ग्राम-कछार, ब्लाक-मरवाही, जिला-बिलासपुर (छत्तीसगढ़) से अनुराधा एक गीत सुना रही हैं :
धुर्रा माटी ला घलो कभी न समझय मीत-
पालन पोसन यही करे कमल खिले इही बीच-
चारी चुगली ला समझ खसरी खसरा रोग-
खाजुवावत सुख ला होत है पाछु दुःख ला भोग-
जावुन गांव जाना नही पूछे के का काम-
पेड़ गिराई गिरथे पर खाए ले काम-
बात ले बात निकलथे चौढ़े ले बिगडे बात...