गुरु तेगबहादुर और उनके बेटे गुरु गोविन्द सिंह की कहानी : तेगबहादुर शहादत दिवस के उपलक्ष्य में

एक बार गुरु तेगबहादुर जी के पास कुछ कश्मीरी पंडित पहुँचे और अपना दर्द बताने लगे कि मुगलों के अत्याचार से वे त्रस्त हो चुके हैं, आप ही कुछ कीजिए गुरु साहिब जी सोच में पड़ गए तभी उनका नौ साल का होनहार तेजस्वी बालक आकर पूछता है ‘पिताजी आप किस चिंतन में डूबे हुए हैं? तो गुरु साहिब कहते हैं ‘बेटे मुगलों का अत्याचार बहुत बढ़ गया है उसे खत्म करने के लिए किसी महापुरुष को ही अपना बलिदान करना पड़ेगा तभी यह देश जागृत होगा इतना सुनना था कि बालक फौरन बोल उठा आपसे बढ़ कर दूसरा महापुरुष और कौन हो सकता है आपको ही यह कार्य करना चाहिए, पुत्र की बात सुन कर पिता गुरु तेगबहादुर प्रसन्न हो गए और बोले ठीक है मैं ही यह कार्य करूँगा । वहाँ उपस्थित लोगों ने बालक से कहा अरे बेटे ये तुमने क्या कर दिया? तुम्हारे पिता को कुछ हो गया तो तुम अनाथ हो जाओगे तुम्हारी माता विधवा हो जाएँगी? नन्हे बालक गोबिंद राय ने तब सिर तान कर उत्तर दिया अगर पिता के बलिदान से इस देश में मुगलों का अत्याचार खत्म हो सकता है और इस देश के लोग जुल्म के खिलाफ लडऩे के लिए तैयार हो सकते हैं तो मुझे कोई दुख नहीं बल्कि गर्व होगा अपने पुत्र के साहसिक उत्तर को सुन कर गुरु तेगबहादुर जी मुसकरा पड़े और पुत्र को गले लगा कर बोले मेरे बाद तू ही धर्मरक्षक के रूप में मेरे काम को आगे बढ़ाएगा और ऐसा ही हुआ और बड़े हो कर वे सिखों के दसवें गुरु गुरु गोबिंद सिंह के रूप में विश्वविख्यात हुए | सुनील@9308571702

Posted on: Dec 06, 2016. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

किसी समाज में प्रगति का पैमाना उस समाज में महिलाओं की स्थिति होनी चाहिए: डा आंबेडकर...

वंचितों और महिलाओं के हक़ में आवाज़ उठाने वाले बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का निधन 6/12/1956 को हुआ था लेकिन उनके द्वारा कही गई हर बात से हिन्दुस्तान के हर व्यक्ति को प्रेरणा मिलती है बता रहे हैं सुनील कुमार मालीघाट मुजफ्फरपुर बिहार से । वे बता रहे हैं कि जैसे आंबेडकर जी के द्वारा यह कहा गया कि मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता, और भाईचारा सिखाता है । मानव का बौद्धिक विकास मनुष्य अस्तित्व का परम लक्ष्य होना चाहिए । एक महान व्यक्ति प्रतिष्टित व्यक्ति से अलग होता है क्योकि वह समाज का सेवक बनने को तैयार रहता है । किसी भी समाज की प्रगति का पैमाना उस समाज में महिलाओं की स्थिति से आंका जाना चाहिए । सुनील कुमार@9308571702

Posted on: Dec 06, 2016. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

वे हिंद की चादर उजली हैं, शत् बार नमन, शत् बार नमन...गुरु तेगबहादुर शहादत पर गीत

गुरु तेगबहादुर की शहादत को स्मरण कर सुनील कुमार उसकी जयन्ती पर एक गीत सुना रहे हैं :
वे हिंद की चादर उजली है, शत् बार नमन, शत् बार नमन-
गुरु तेगबहादुर जी से हम, सीखें नित स्वाभिमान-दर्शन-
जो थे अत्याचारी उनसे, भिड़कर जीवन बलिदान किया-
जो पीडि़त हिंदू थे उनका संरक्षण और उत्थान किया-
थे मानवता के वे रक्षक, जीवन को जिनने किया हवन-
वे हिंद की उजली चादर हैं, शत् बार नमन शत् बार नमन-
बेटे ने कहा पिता मेरे, अब आप धर्म के रक्षक हैं-
आगे आएँ प्रतिकार करें, ये मुगल दुष्ट औ भक्षक हैं-
बेटे प्रीतम की बात सुनी, बढ़ गए गुरु के तब पुण्यचरन-
वे हिंद की चादर उजली हैं, शत् बार नमन शत् बार नमन-
गुरु बोले औरंगजेब सुनो, राजा के गंदे काम नहीं-
जो जबरन धर्म बदलवाए वह तो सच्चा इसलाम नहीं-
और शीश दिया पर सी न की, हँसके कर गए परलोक गमन-
वे हिंद की चादर उजली हैं, शत् बार नमन शत् बार नमन...

Posted on: Dec 06, 2016. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताय...कबूतर और बाज की कहानी

बहुत समय पहले की बात है एक बाज कबूतरो का पीछा कर रहा था वो पीछा करता रहा करता रहा करता रहा मगर एक भी कबूतर पकड़ पाने में सफलता नहीं मिली तब उसने कबूतरो को धोखा देने की सोची और वो कबुतरो के दरबो के बीच एक पेड़ पर जा बैठा और उनसे कहने लगा कि वह उनकी सेवा करना चाहता है उसके पास तो कोई काम काज नहीं है और उसने कबूतरो से कहा की वो उनसे बहुत प्यार करता है मुझे अपने दड़बे में आ जाने दो मुझे अपना यार बना लो और तब मैं तुम्हार सेवक बन कर रहूँगा और मैं तुम्हारे साथ कोई बुराई नहीं करूँगा बल्कि किसी दुसरे को भी तुम्हारे साथ ज्यादती नही करने दूंगा|कबूतर राजी हो गए और उन्होंने बाज को अपने दड़बे में शामिल होने दिया दरबे में आ जाने के बाद दूसरी ही बोली बोलने लगा मैं तुम्हारा यार हूँ तुम्हे मेरी हर बात माननी चाहिए सबसे पहली बात तो यह है की मुझे अपने खाने के लिए हर दिन एक कबूतर चाहिए और वह हर दिन एक कबूतर खाने लगा कबूतर बेहद दुखी होकर सोंचने लगे वे क्या करे लेकिन देर बहुत हो चुकी थी इसे तो दरबे में आने ही नहीं देना था लेकिन अब क्या हो सकता है | सुनील कुमार@9308571702

Posted on: Dec 05, 2016. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

कैसे कही घरवा के परेशानी जी, मड़वा में चुहवा थे पानी जी...बिहार से गीत

जन आन्दोलनो के राष्ट्रीय समन्वय का 11 वां वार्षिक सम्मलेन दिनांक 2 से 4 दिसम्बर 2016 पटना बिहार में हो रहा है वहां सुनील कुमार के साथ उपस्थित हैं कैमूर जिला के साथी रामलाल जो एक गीत सुना रहे हैं:
कैसे कही घरवा के परेशानी जी, मड़वा में चुहवा थे पानी जी-
कैसे कही घरवा के परेशानी जी, मड़वा में चुहवा थे पानी जी-
खाए के नई ये ना पिए के बाचे पानी, झारा-झारा लोर चुहे इहेव बरिबे का कहानी-
कैसे कही घरवा के परेशानी जी, मड़वा में चुहवा थे पानी जी...

Posted on: Dec 04, 2016. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

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