वे हिंद की चादर उजली हैं, शत् बार नमन, शत् बार नमन...गुरु तेगबहादुर शहादत पर गीत
गुरु तेगबहादुर की शहादत को स्मरण कर सुनील कुमार उसकी जयन्ती पर एक गीत सुना रहे हैं :
वे हिंद की चादर उजली है, शत् बार नमन, शत् बार नमन-
गुरु तेगबहादुर जी से हम, सीखें नित स्वाभिमान-दर्शन-
जो थे अत्याचारी उनसे, भिड़कर जीवन बलिदान किया-
जो पीडि़त हिंदू थे उनका संरक्षण और उत्थान किया-
थे मानवता के वे रक्षक, जीवन को जिनने किया हवन-
वे हिंद की उजली चादर हैं, शत् बार नमन शत् बार नमन-
बेटे ने कहा पिता मेरे, अब आप धर्म के रक्षक हैं-
आगे आएँ प्रतिकार करें, ये मुगल दुष्ट औ भक्षक हैं-
बेटे प्रीतम की बात सुनी, बढ़ गए गुरु के तब पुण्यचरन-
वे हिंद की चादर उजली हैं, शत् बार नमन शत् बार नमन-
गुरु बोले औरंगजेब सुनो, राजा के गंदे काम नहीं-
जो जबरन धर्म बदलवाए वह तो सच्चा इसलाम नहीं-
और शीश दिया पर सी न की, हँसके कर गए परलोक गमन-
वे हिंद की चादर उजली हैं, शत् बार नमन शत् बार नमन...