अरे बाबा बन फुले लरेया है नीम...सोहर गीत

ग्राम-मालीघाट,जिला-मुजफ्फरपुर(बिहार) से सुनील कुमार
साथ में रामविलास पासवान एक सोहर गीत सुना रहे है:
ये गीत बच्चे के जन्म होने पर गाया जाता है
अरे बाबा बन फुले लरेया है नीम-
भैया बन ठन ली फुलई हे हे-
ललना रे स्वामी कोनो फुले...

Posted on: Apr 03, 2017. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

जब गुस्सा मे बरल बा दुलार...रचना

मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर, (बिहार) से सुनील कुमार,
कुमार विरल की रचना सुना रहे है:
जब गुस्सा मे बरल बा दुलार-
प्रभु जी भुजिया के प्यार हो गइल-
केहू प्यार से जे देवे दुत्कार-
त भुजिया की प्यार हो गइल
चाहब की चेहरा इआद नाहीं आवे-
चाहब की मिलला पे मन नाहीं-
बाकि देखला पे झरे हरसिंगार-
त भुजिया के प्यार हो गइल...

Posted on: Apr 02, 2017. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

बुद्ध का अंतिम भोजन-

गांव के एक गरीब आदमी के निमंत्रण को स्वीकार कर बुद्ध उसके यहाँ भोजन करने गए. गरीबी के कारण बिहारी गरीब लोग जो बरसात के दिनों में जो लकड़ी पर कुकुरमुत्ता पैदा होता हैं उसे इकटठा कर सुखा लेते हैं एवं सब्जी बनाकर खाते हैं .कभी-कभी कुरकुरमुत्ता में जहर मिल जाने से जहरीला हो जाता हैं.बुद्ध के द्वारा गरीब का भोजन आनन्दपूर्वक खाते रहे जबकि जहरीला कुकुरमुत्ते सख़्त कड़वे मुँह में रखना भी मुश्किल था और गरीब व्यक्ति से कहते रहे कि मैं बहुत आनंदित हूं .बुद्ध के घर से निकलने पर जब गरीब आदमी ने सब्जी चखा तो तुरंत भागा हुआ बुद्ध के पास पहुँचा और कहने लगा कि सब्जी तो जहर थी और गरीब आदमी छाती पीटकर रोने लगा .इसपर बुद्ध ने कहा तू चिंता मत कर क्योंकि में जानता हूं अमृत हैं. बुद्ध ने कहा तू धन्यभागी है तू सौभाग्यशाली हैं .आनंदित हो कि हजारों वर्षो मे बुद्ध जैसा व्यक्ति पैदा लेता हैं .दो ही व्यक्ति को उसका सौभाग्य मिलता हैं पहला भोजन कराने का अवसर उसकी माँ को मिलता हैं और अंतिम भोजन कराने का अवसर तुझे मिला हैं.तू सौभाग्यशाली हैं आनंदित हो इसपर बुद्ध के शिष्य कहने लगे यह आदमी हत्यारा हैं .बुद्ध ने कहा भूलकर भी ऐसी बात नहीं कहना अन्यथा उसे लोग परेशान करेंगें .जाओ गांव में डुंडी पीटकर बता दो की यह आदमी सौभाग्यशाली हैं क्योंकि इसने बुद्ध को अंतिम भोजन दान दिया हैं. सुनील कुमार@9308571702

Posted on: Apr 01, 2017. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

हर बिखरे अनुभव के रेशे को समेट कर लिखता है...भवानी प्रसाद मिश्र की कविता-

सुनील कुमार भवानी प्रसाद मिश्र की कविता सुना रहे हैं:
बुनी हुई रस्सी को घुमायें उल्टा-
तो वह खुल जाती हैं-
और अलग अलग देखे जा सकते है-
उसके सारे रेशे-
मगर कविता को कोई/ खोले ऐसा उल्टा-
तो साफ नहीं होंगे हमारे अनुभव-
इस तरह/क्योंकि अनुभव तो हमे-
जितने इसके माध्यम से हुए हैं-
उससे ज्यादा हुए हैं दूसरे माध्यमों से-
व्यक्त वे जरूर हुए हैं यहाँ-
कविता को/ बिखरा कर देखने से-
सिवा रेशों के क्या दिखता है-
लिखने वाला तो-
हर बिखरे अनुभव के रेशे को-
समेट कर लिखता हैं...

Posted on: Mar 31, 2017. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

कलाकार बनते-बनते मनुष्य बेहतर इंसान बन जाता है...

मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार सांस्कृतिक सिपाही तपेश्वर लाल विजेता के बारे में बता रहे है, कलाकार बनते -बनते मनुष्य बेहतर इंसान बन जाता हैं | रंगकर्मी तपेश्वर लाल विजेता संस्कृतिकर्मी-समाजसेवी के रुप में पहचान बनानेवाले तपेश्वर मुजफ्फरपुर में कला संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए “कला श्री” की स्थापना की. बाद में मुजफ्फरपुर में भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) ईकाई की स्थापना कर आम लोगो के आवाज उठाने का कार्य किया .शुरुआती दौर में कोयले की चीख ,ऊँचे लोग ,सभ्य साँप जैसे नाटक का मंचन किये .जुग जुग जीओ मेरे लाल, हे तुलसी मईया जैसे भोजपुरी फिल्म में अपने बेहतर अभिनय से विशेष पहचान बनाई .उनकी पुण्यतिथि पर शत-शत नमन, विनम्रता पूर्वक श्रद्धांजलि। सुनील@9308571702

Posted on: Mar 31, 2017. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER

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