फागुन में आज मचैया होली...होली गीत
मुजफ्फरपुर (बिहार) से नंदनी वर्मा होली की शुभकामनाए देते हुए एक गीत सुना रही हैं :
फागुन में आज मचैया होली-
किनका के पहिरन पियर पीताम्बर-
किनका के पहिरन चिर चोली हो-
शिव जी के पहिरन पियर पीताम्बर-
गौर दाई के पहिरन चिर चोली हो-
किनका के हांथ कनक पिचकारी-
किनका के हांथ अबीर झोली...
Posted on: Mar 01, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
बाबा हरिहर नाथ सोनपुर में रंग लूटे...होली गीत
मालीघाट, मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार एक गीत सुना रहे हैं :
बाबा हरिहर नाथ सोनपुर में रंग लूटे-
बाबा गरीब नाथ मुजफ्फरपुर में रंग लूटे-
बाबा जलेश्वर नाथ जनकपुर में रंग लूटे-
बाबा वैधनाथ झारखंड में रंग लूटे-
बाबा तपेश्वरनाथ बलरामपुर में रंग लूटे-
बाबा तपेश्वरनाथ छत्तीसगढ़ में रंग लूटे-
बाबा पशुपतिनाथ नेपाल में रंग लूटे-
बाबा पशुपतिनाथ काठमांडू में रंग लूटे...
Posted on: Feb 28, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
मोतियों के माला निशनिया रे जाम...चुनाव गीत
मालीघाट,जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से उमेश भारती बिहार में चल रहे पंचायत चुनाव के उपलक्ष्य में एक चुनाव गीत सुना रहे हैं:
मोतियों के माला निशनिया रे जाम-
रे जाम मोतियों के माला निशनिया रे जाम-
रे जाम मिश्राम भैया के यही पर मोहर लगयन रे-
हमरो गाँव तोलवा के मैया बहिनिया रे जाम-
अरे मैया बहिनिया रे जाम मिश्राम भैया के-
मोती के माला निशनिया रे...
हर माता बहिनिया के गले के हार रे जाम-
मोती के माला निशनिया रे जाम...
Posted on: Feb 27, 2018. Tags: SONG Sunil Kumar VICTIMS REGISTER
बांसुरी के इतिहास में उन कीड़ों का कोई जिक्र नही...कविता
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार नरेश सक्सेना की एक कविता बांसुरी सुना रहे हैं:
बांसुरी के इतिहास में उन कीड़ों का कोई जिक्र नही-
जिन्होंने भूख मिटाने लिए बांसों मे छेद कर दिए थे-
और जब-जब उन हवा छेदों से गुजरती तो बांसों का रोना सुनाई देता-
कीड़ो को तो पता ही नही था कि वे संगीत के इतिहास में हस्तक्षेप कर रहे हैं-
और एक ऐसे वाद्य का आविष्कार जिसमे बजाने वाले की सांसे बजती है-
मैंने कभी लिखा था बांसुरी में बांस नही बजती साँस नही बजता-
बजाने वाला बजता है अब जब-जब बजता हूँ बांसुरी तो राग चाहे जो हो-
उसमे तोड़ो की भूख और बांसों का रोना भी सुनाई देता है...
Posted on: Feb 27, 2018. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
बेटी हूँ मैं, बेटी मैं तारा बनूँगी...गीत
जीवन संगम बोधगया (बिहार) से सुनील कुमार जन आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वय के कार्यक्रम में गाए जा रहे गीत को सुना रहे हैं :
बेटी हूँ मैं बेटी मैं तारा बनूँगी-
लिखुंगी पढूंगी मैं मेहनत भी करूंगी-
अपने पांवो से चलकर दुनिया को देखूंगी-
दुनिया को देखूंगी मै दुनिया को समझूंगी-
फूल जैसी सुंदर बागों में खेलूंगी-
तितली बनूंगी मैं हवा को चूमुंगी...