अवसर अपने कल भी होंगे, पेड़ लगा तो फल भी होंगे...गिरीश पंकज की कविता-
सुनील कुमार गिरीश पंकज की रचना सुना रहे हैं :
अवसर अपने कल भी होंगे-
पेड़ लगा तो फल भी होंगे-
मुद्दे माना है गरमाए-
बैठेंगे तो हल भी होंगे-
अच्छे लोगो की दुनिया में-
कमी नहीं है वो कल भी होंगे-
सावधान रहना ओ राही-
साथ तुम्हारे छल भी होंगे-
जीवन का दस्तूर यही है-
नायक है तो खल भी होंगे-
जो हमको खुशियों से भर दे-
जीवन में वे पल भी होंगे-
हमें तोड़ने वाले लेकिन कुछ संबल भी होंगे...
Posted on: Feb 07, 2019. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
अबही नाम भइल बा थोरा, जबई छुट जाई तन मोरा...भिखारी ठाकुर का भोजपुरी गीत-
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर, (बिहार) से सुनील कुमार भोजपुरी के शेक्सपीयर माने जाने वाले भिखारी ठाकुर का एक गीत सुना रहे हैं :
अबही नाम भइल बा थोरा-
जबई छुट जाई तन मोरा-
तेकरा बाद पचास बरीसा-
तेकरा बाद बीस-दस-तीसा-
तेकरा बाद नाम होई जइहन-
पंडित,कलि ,सज्जन भदा गइहन-
नहरखी पाट पर पढ़ल भाई-
गलती बहुत लउकते जाई...
Posted on: Feb 06, 2019. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
अमर शहीद खुदीराम बोस की स्मारक स्थल पर एक लेख...
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार अमर शहीद खुदीराम बोस का छोटा स परिचय बता रहे हैं कि खुदीराम बोस भारतियों के ह्रदय से ब्रिटिस शासन के दर को कैसे हटा कर हस कर फासी पर लटक गए थे आज भी जिले के क्रन्तिकारी विचारधारा वाले लोग सबसे पहले यहाँ आकर नमन करते हैं और इसके बाद ही अपने अभियान की श्रुवात करते हैं सभी भारतीयों के लिए यह स्मारक एक तीर्थ स्थल है-
एक बार बिदाई दे मा गोर आसे-
अमी हस-हस गोरगो फासी ओ भारत वासी-
एक बार बिदाई दे मा गोर आसे...
Posted on: Feb 05, 2019. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
मुज्जफरपुर नाच ले साज बिहाने गब ले अपनों शान...गीत
मालीघाट मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार उनके शहर मुजफ्फरपुर पर एक गीत सुना रहे हैं :
मुजफ्फरपुर नाच ले साज बिहाने गव ले अपनो शान-
ऐ भाई सुन लो लगा के ध्यान-
साज बिहाने गव ले अपनो तान-
सीटी मुजफ्फरपुर अध्यात्म के हवे अस्थान-
मुजफ्फर शाह के अस्थान-
यहाँ पर संबल सा के बड़ा नाम – काली पारी से गे अस्थाना-
महा माई के बड़का अस्थान – पाप गरीब नाथ चतुर्भुज नाथ-
ना करी ले किकरे अनाम...
Posted on: Feb 04, 2019. Tags: SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
मुजफ्फरपुर शहर को लीची की भूमि होने का देश विदेश से गौरव प्राप्त है...
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर, (बिहार) से सुनील कुमार मुजफ्फरपुर के बारे में शहर की विशेषताएँ बता रहे, शहर के बीचो बीच सरय्या गंज टावर, यह टावर जंग ऐ आजादी की शहादत की याद दिलाता है, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा शहर को गौरवान्तित करती है. शहर को लीची की भूमि होने का गौरव देश विदेश प्राप्त हो चूका है, मुजफ्फरपुर को बिहार की दूसरी राजधानी, सांस्कृतिक राजधानी अघोसित रूप से खिताब भी मिल चूका है, लोक सभा हो या विधान सभा नेताओ का हुजूम यही उमड़ता है, तिर्हुध कहलाने वाला इस क्षेत्र का उल्लेख रामायण जैसे ग्रंथो में भी मिलता है, हालाकि इसका लिखित इतिहास वैशाली के उध्भव के समय से उपल्ध है, मिथला के रजा जनक के समय तिर्हुध प्रदेश मिथला का अंग था, ८ वी सदी के बाद यहाँ बंगाल के पाल वंश के शासको का शासन शुरु हुआ, चम्पारण के सिमरावो वंश शासक हरिसिह देव के समय में 13 सौ 13 वी सदी में तुगलक वंश के शासन गैसुद्दीन तुगलक ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया लेकिन सत्ता मिथिला के शासन कामेश्वर ठाकुर के हवाले कर दी | 14 सदी के अंत में तिर्हुध समेत पुरे उत्तरी बिहार का पूरा नियत्रण जौनपुर के राजाओं में चला गया यह तब तक जारी रहा जब तक दिल्ली सल्तनत के सिकंदर लोधी ने जौनपुर के शासको को हराकर शासन स्थापित नही कर लिया, इसके बाद विभिन्न बंगाल के शासको का और मुगल शासको का शासन रहा |