मुजफ्फरपुर शहर को लीची की भूमि होने का देश विदेश से गौरव प्राप्त है...
मालीघाट, जिला-मुजफ्फरपुर, (बिहार) से सुनील कुमार मुजफ्फरपुर के बारे में शहर की विशेषताएँ बता रहे, शहर के बीचो बीच सरय्या गंज टावर, यह टावर जंग ऐ आजादी की शहादत की याद दिलाता है, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा शहर को गौरवान्तित करती है. शहर को लीची की भूमि होने का गौरव देश विदेश प्राप्त हो चूका है, मुजफ्फरपुर को बिहार की दूसरी राजधानी, सांस्कृतिक राजधानी अघोसित रूप से खिताब भी मिल चूका है, लोक सभा हो या विधान सभा नेताओ का हुजूम यही उमड़ता है, तिर्हुध कहलाने वाला इस क्षेत्र का उल्लेख रामायण जैसे ग्रंथो में भी मिलता है, हालाकि इसका लिखित इतिहास वैशाली के उध्भव के समय से उपल्ध है, मिथला के रजा जनक के समय तिर्हुध प्रदेश मिथला का अंग था, ८ वी सदी के बाद यहाँ बंगाल के पाल वंश के शासको का शासन शुरु हुआ, चम्पारण के सिमरावो वंश शासक हरिसिह देव के समय में 13 सौ 13 वी सदी में तुगलक वंश के शासन गैसुद्दीन तुगलक ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया लेकिन सत्ता मिथिला के शासन कामेश्वर ठाकुर के हवाले कर दी | 14 सदी के अंत में तिर्हुध समेत पुरे उत्तरी बिहार का पूरा नियत्रण जौनपुर के राजाओं में चला गया यह तब तक जारी रहा जब तक दिल्ली सल्तनत के सिकंदर लोधी ने जौनपुर के शासको को हराकर शासन स्थापित नही कर लिया, इसके बाद विभिन्न बंगाल के शासको का और मुगल शासको का शासन रहा |