लहराती झाकियां मुस्कुराकर गणतंत्र की कहानिया सुनाती है...रचना-
मालीघाट मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार डॉ ऊषा अनुराग की एक रचना सुना रहे हैं:
लहराती झाकियां मुस्कुराकर गणतंत्र की कहानिया सुनाती है-
आजादी की घटनाये रंगों में एक एक करके उभरी है-
इन पक्के रंगों को चाहकर भी मिटा नहीं सकते-
चुनौती भरा समय है नींद से जगाना है-
इन मुट्ठीभर लोगो को कडियाँ जोड़कर पढाना है-
एकता का पाठ संस्कृति का मूल मंत्र है...
Posted on: Jan 28, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
चेहरे बदल बदल के आने लगे हैं लोग...गीत-
मालीघाट, मुजफ्फरपुर, बिहार से सुनील कुमार एक गीत सुना रहे हैं:
चेहरे बदल बदल के आने लगे हैं लोग-
दुनिया को हर तरह से सजाने लगे हैं लोग-
भगवन तुम भी खोज अपना नया मकान-
मंदिर व मस्जिदो को गिराने लगे है लोग-
हमको फूलो की सेज से निदत नहीं रही-
बारूद ओढ़ने और भी जाने लगे हैं लोग-
कल तक दबा रहे थे माँ बाप के कदम...
Posted on: Jan 27, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
मतदाता बन जाये सभी और सभी करे मतदान जी...गीत-
मालीघाट, मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनील कुमार मतदाता जागरूकता गीत सुना रहे हैं :
मतदाता बन जाये सभी और सभी करे मतदान जी-
जय जय होगी लोकतंत्र की होगा देश महँ जी-
जागे और जगाये सभी को सभी करे मतदान जी-
संविधान ने दिया है सबको यह ताकत उपहार यहां-
संविधान में सभी बराबर सबका है अधिकार यहां-
मतदाता बन जाये सभी और सभी करे मतदान जी...
Posted on: Jan 24, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
जागा है इन्सान ज़माना बदल रहा है...गीत-
मालीघाटी, मुजफ्फरपुर (बिहार) से सुनिल कुमार एक गीत सुना रहे हैं :
जागा है इन्सान ज़माना बदल रहा है-
उठा है तूफान ज़माना बदल रहा है-
जागा है इन्सान ज़माना बदल रहा है-
काश ये कुटिया देदे तो यह पूछ रहे उजियारे-
थर थर कांप रही है सत्ता कुर्सी वाले-
जनता है बस मान ज़माना बदल रहा है-
अरे उठा है तूफान ज़माना बदल रहा है-
जागा है इन्सान ज़माना बदल रहा है-
हिटलर साही नहीं चलेगी नहीं चलेगी-
हर सरकार से कह दो-
और अत्याचार नहीं चलेगी अत्याचारी से कह दो-
दो दिन का मेहमान ज़माना बदल रहा है...
Posted on: Jan 23, 2020. Tags: BIHAR MUZAFFARPUR SONG SUNIL KUMAR VICTIMS REGISTER
झारखंड धरे दुरा सुने कमल फूले...गीत-
मालीघाटी प्रसार केंद्र सामाजिक सांस्कृतिक शोध संस्थान एवं लोककला प्रशिक्षण केंद्र से सुनिल कुमार शांति शिवशंकर आजाद की रचना सुना रहे हैं:
झारखंड धरे दुरा सुने कमल फूले-
मधुमक्खी उरे जेकर सेती सुंदर लागे मांदर बाजे-
झारखण्ड धरे दुरा सुने कमल फूले-
मगर काकर महिना में अम्बा बिन लागे-
कोयल करे कुहू कुहू जेकर बोली सुंदर लागे-
झारखण्ड धरे दुरा सुने कमल फूले-
आगे ले फागुन माह टेसू फूले-
अमनी के मन मोर नाचे गाए,कि मांदर बाजे-
झारखण्ड धरे दुरा सुने कमल फूले...