न ये तोप के गोले रखते न बंदूक की गोलियां...कोरोना पर कविता-
राजनांदगांव (छत्तीसगढ़) से विरेन्द्र गंधर्व एक कविता सुना रहे हैं:
न ये तोप के गोले रखते न बंदूक की गोलियां-
यत्र तत्र सर्वत्र बिखरते स्वास्थ्य कर्मियों की टोलियाँ-
स्वास्थ्य कर्मी यदि पुरुष है तो वो वीर है-
यदि महिला है तो वीरांगना-
रोगी को निरोगी करने के लिये नींद भी पड़ा है त्यागना-
सैनिक रहते मैदानों में ये रहते अस्पतालों में-
न ये तोप के गोले रखते न बंदूक की गोलियां...